
करैरा सीबीएमओ को बनाया जिला टीकाकरण अधिकारी, भदकारिया बने प्रभारी बीएमओ
जिलाध्यक्ष के नजदीकी डॉक्टर को रिश्वतखोरी के।मामले में निलंबन के बाद वहीं किया नियुक्त
शिवपुरी वो जिला है, जिसमें भाजपा जिलाध्यक्ष की घोषणा के साथ ही उसके साइड इफेक्ट अभी तक धरातल पर दिख रहे थे, लेकिन अब इसका असर स्वास्थ्य विभाग पर भी पड़ने लगा। करैरा के सीबीएमओ डॉ. प्रदीप शर्मा को प्रभारी जिला टीकाकरण अधिकारी बनाने का लैटर सीएमएचओ शिवपुरी ने शनिवार की सुबह 10 बजे मेल कर दिया। उनकी जगह डॉ रोहित भदकारिया को प्रभारी सीबीएमओ बना दिया। महत्वपूर्ण बात यह है कि सुबह 11.30 डॉ. भदकारिया ने करैरा जाकर चार्ज भी ले लिया। यानि सब कुछ प्री प्लान था।
ऐसे समझें जिलाध्यक्ष का साइड इफेक्ट
करैरा अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर देवेंद्र खरे, भाजपा के नवागत जिलाध्यक्ष जसमंत जाटव के खासमखास हैं। डॉ खरे को फर्जी एमएलसी बनाने एवं पीएम के बदले रिश्वत मांगने के आरोप।में कमिश्नर ने निलंबित किया था। सस्पेंड होने के बाद डॉ खरे को करेरा अस्पताल में फिर से आयुक्त ने पदस्थ भी कर दिया, जो नियंविरुद्ध है। डॉ शर्मा तथा डॉ खरे के बीच शीतयुद्ध पुराना चल रहा है, जिसमें एक शिकायत भी डॉ शर्मा की डॉ खरे ने की थी। इधर भाजपा जिलाध्यक्ष बदले, उधर डॉ शर्मा को रवानगी दे दी गई।
सीएमएचओ ने दिए गोलमोल जवाब
प्रश्न: डॉ शर्मा की करेरा से रवानगी, क्या जिलाध्यक्ष का साइड इफेक्ट है?
जवाब: नहीं, ऐसा नहीं है, उन्हें तो प्रमोशन करके जिले में बिठा दिया। वो वहां पर काम कर नहीं पा रहे थे, जिसके बारे में कई बार बताया भी था।
प्रश्न: डॉ खरे को एक अन्य मामले में संभागायुक्त ने दोषी माना है, वो लेटर आप 2 माह में।नहीं दे पाए?
जवाब: मुझे समय नहीं मिल पाया, वो लेटर मैं एक-दो दिन में दिलवा दूंगा।
प्रश्न: क्या आयुक्त द्वारा गंभीर मामलों में निलंबित डॉक्टर को पुनः उसी अस्पताल में पदस्थ किया जा सकता है?
जवाब: अब इसका जवाब तो वो संभागायुक्त ही दे पाएंगे, जिन्होंने निलंबित करने के बाद उन्हें फिर वहीं पर बहाल कर दिया।
नवल फिर हुए सक्रिय
शिवपुरी स्वास्थ्य विभाग में सबसे अधिक चर्चित नवल सिंह फिर से सक्रिय हो गए। पूर्व में नवल सहित उनकी टीम पर एक ही फर्म से झाड़ू से लेकर दवाइयां खरीदने का आरोप लगा था। करोड़ों के उस घोटाले में जांचकर्ता माल कमा गए, और टीम अभी भी सक्रिय है। बताया तो यहां तक जाता है कि सीएमएचओ की नियुक्ति भी यही टीम करवाती है।। तभी तो एक नेत्र सहायक पूरे जिले का स्वास्थ्य विभाग संभाल रहा है।
