
सैमुअल की कलम से:: क्या हाथ नहीं कांपे जल्लाद बेटे के…?
लड़ाई हमेशा जर (पैसा), जोरू (औरत) और जमीन के।लिए होती है। यह पुरानी कहावत है, लेकिन इसमें यह कहीं नहीं लिखा कि जोरू के लिए जन्मदायिनी मां को मौत के घाट उतार दिया जाए, लेकिन सिंगरोली के मोरवा थाना क्षेत्र में ऐसा ही हुआ।
बीते 3 जून को मोरवा थाना के चकरिया गांव में रहने वाली 45 वर्षीय महिला फूलकुंअर गौड पत्नी लालमणि गौड की लाश उनके ही घर।में मिली। महिला के सिर में डंडा मारकर उसकी जान ली गई। एसपी मनीष खत्री के निर्देशन में थाना प्रभारी मोरवा उमेश प्रताप सिंह ने जब बड़े बेटे बबुआ राम (21) से सख्ती से पूछताछ की तो उसने कबूल किया, कि उसने ही अपनी मां को मौत के घाट उतारा। जब बेटे ने वजह बताई, तो सभी सोच में पड़ गए, कि समय क्या आ गया। बबुआ ने बताया कि मेरी एक माह पहले शादी हुई, और मेरी मां, मेरी पत्नी से लड़ती थी, इसलिए वो ससुराल मेरे पास नहीं आ रही थी। इसलिए उसने अपनी मां के सिर में डंडा मार कर उसकी हत्या कर दी, और लाश को अंदर छोड़कर बाहर ऐसे निकल कर गया, जैसे कुछ हुआ हो नहीं। हत्यारा बेटा वाहन चालक है, और अब अपनी ही मां की हत्या के आरोप में गया जेल।

