
तीन साल में बिखरी नगरपालिका: फ्री की सीट पर अध्यक्ष को खतरा, शहर के मोड़ा ने भी छोड़ी कुर्सी
घोटालेबाज ठेकेदार व अधिकारी काट रहे फरारी, शहर में आदिवासियों ने क्यों निकाली रैली?, पता नहीं
नगरपालिका परिषद तीन साल।में ही बिखर गई, और सभी अल्फ़-दिशाओं में भाग रहे हैं। बिना खर्चे के मिली अध्यक्ष की कुर्सी पर जहां खतरा मंडरा रहा है, तो वहीं शहर का मोड़ा सीएमओ बनकर आया, लेकिन हालात बिगड़ते देख वो भी छुट्टी पर भाग गए। घोटाला करने वाला ठेकेदार और दो नपा अधिकारी फरार है, तो वहीं शहर में आदिवासी रैली निकाल रहे हैं, लेकिन क्यों निकाल गई?, उसका उद्देश्य भी समझ नहीं आया।
शिवपुरी नगरपालिका परिषद का गठन हुए 3 अगस्त को तीन साल पूरे हो गए। बिना खर्चे के नपाध्यक्ष बनीं गायत्री शर्मा का इतना विरोध हुआ कि पार्षद उन्हें कुर्सी से हटाने के लिए भगवान की कसम खाने बगीचा सरकार पहुंच गए। इसके बाद वो दो बार सुंदरकांड भी कर आए, लेकिन मामला अभी भी आधार में लटका हुआ है। महत्वपूर्ण बात यह है कि भाजपा के ही सांसद, विधायक और नपाध्यक्ष, फिर भी भाजपा पार्षद उन्हें कुर्सी से हटाने में जुट हुए है। भाजपा जिलाध्यक्ष से लेकर प्रभारी मंत्री और सांसद के समक्ष पेशी होने के बाद भी वो अपनी बात पर अडिग हैं। इतना हो नहीं, पार्षद तो भाजपा की सदस्यता तक से इस्तीफा देने की बात कह चुके हैं। ऐसे में पार्टी नेताओं को भी समझ नहीं आ रहा कि आखिर वो नपाध्यक्ष की कुर्सी को कैसे बचाएं। भाजपा जिलाध्यक्ष भी चिंतित हैं, क्योंकि यदि पार्षदों ने इस्तीफा दिया तो संगठन के नेता उनसे सवाल करेंगे। ऐसे में सभी अपनी कुर्सी बचाने में लगे हुए हैं।
नपा सीएमओ इशांक धाकड़ इसी शहर में प्ले-बढ़े, लेकिन वो भी जब हालात नहीं सुधार पाए, तो मेडिकल के बाद लंबी छुट्टी पर चले गए। उनके छुट्टी पर जाते ही प्रभारी सीएमओ को बिठा दिया गया। नपाध्यक्ष और सीएमओ के अलावा नपा के दो कर्मचारी इन दिनों घोटालेबाज ठेकेदार के साथ फरारी काट रहे हैं। जबकि उनकी तलाश में पुलिस घरों पर दबिश दे रही है। यानि एक नजर में यदि नगरपालिका को देखा जाए तो अध्यक्ष कुर्सी बचाने में लगी हैं, सीएमओ कुर्सी छोड़कर भाग रहे हैं, और सहायक यंत्री और उपयंत्री फरारी काट रहे हैं। उधर विरोध करने वाले पार्षद भी अपनी अगली रणनीति बनाने में लगे हुए हैं।
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