
शहर विकास की राशि हड़पने वाले टैंकर चोर ठेकेदार की जमानत हाईकोर्ट से निरस्त
10 हजार का इनाम घोषित करके पुलिस ने नहीं की गिरफ्तारी, अब क्या सुप्रीम कोर्ट से जमानत का पुलिस करेगी इंतजार..?
शिवपुरी। नगरपालिका शिवपुरी में आई शहर विकास की राशि को बिना काम किए हड़पने वाला टैंकर चोर ठेकेदार अर्पित शर्मा की जमानत याचिका हाईकोर्ट ग्वालियर से निरस्त हो गई। इस मामले में नगरपालिका के वकील और पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध है। क्योंकि हाईकोर्ट में नपा के वकील उपस्थित नहीं हुए, तथा पुलिस 10 हजार का इनाम घोषित करके आरोपी ठेकेदार को गिरफ्तार ना करके जमानत के लिए पूरा समय दे रही है।
गौरतलब है कि शिवपुरी नगरपालिका में आई शहर विकास के लिए करोड़ों की राशि को ठेकेदार अर्पित शर्मा ने बिना काम किए पिछले दो साल में 5 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान ले लिया। उसकी यह चोरी पिछले महीनों में हुई प्रशासनिक जांच में उजागर होने के बाद अर्पित सहित 3 लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया गया।
इस मामले में पुलिस सहायक यंत्री और उपयंत्री सतीश निगम और जितेंद्र परिहार को तो पुलिस गिरफ्तार कर लाई थी, लेकिन ठेकेदार को कथित तौर पर छोड़ दिया था। इसके बाद पुलिस अधीक्षक ने फरार ठेकेदार पर 10 हजार रुपए का इनाम घोषित कर दिया, लेकिन उसके बाद से पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी के लिए कोई सार्थक प्रयास नहीं किए। बताया तो यहां तक जाता है कि जांच प्रभारी एसडीओपी कोलारस संजय मिश्रा भी पुलिस टीम लेकर आरोपी ठेकेदार के घर दरवाजे की कुंडी खटखटाकर आ गए, जबकि ठेकेदार तीसरी मंजिल पर ही था।
शिवपुरी कोर्ट से अग्रिम जमानत निरस्त होने के बाद भी पुलिस ने गिरफ्तारी के कोई प्रयास नहीं किए, तथा आरोपी को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत कराने के लिए पूरा समय दिया। अब जबकि हाईकोर्ट ने भी जमानत याचिका निरस्त कर दी, तो क्या पुलिस अब सुप्रीम कोर्ट से जमानत होने का भी इंतजार करेगी..?।
हाईकोर्ट जज राजेश कुमार गुप्ता ने आपत्तिकर्ता वकील अभय जैन की आपत्तियों को गंभीरता से लिया। जिसमें उल्लेख किया गया था कि आरोपी पर पहले से 7 मामले दर्ज हैं। साथ ही न्यायालय ने यह भी माना कि आरोपी ठेकेदार ने बिना काम किए लाखों रुपए का भुगतान लिया, जिसमें प्रकरण दर्ज किया गया। इस मामले में एडीएम की जांच रिपोर्ट ने भी आपत्ति में सहयोग किया, जिसमें महज 2 साल में ठेकेदार को नपा ने 5 करोड़ से अधिक का भुगतान किया। इन सभी तथ्यों को गंभीर मानते हुए हाईकोर्ट मजिस्ट्रेट राजेश कुमार गुप्ता ने आरोपी ठेकेदार अर्पित की जमानत याचिका निरस्त कर दी।
आरोपी के वकीलों ने यह दिए थे तर्क
आरोपी अर्पित के वकीलों ने तर्क दिया कि उसने समयसीमा में काम पूरा कर दिया था, लेकिन भारी बारिश की वजह से स्थिति फिर बिगड़ गई थी। साथ ही यह भी कहा कि उसे राजनीतिक रूप से षडयंत्र करके फंसाया है, तथा तहसीलदार को एफआईआर नहीं करवा सकते। इन सभी तथ्यों को हाईकोर्ट जज राजेश कुमार गुप्ता ने सिरे से नकार दिया।
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