September 30, 2025
पार्षदों का इस्तीफा नामंजूर: अध्यक्ष ढूंढ रहीं विरोधी पार्षदों का भ्रष्टाचार, जनता मूकदर्शक

पार्षदों का इस्तीफा नामंजूर: अध्यक्ष ढूंढ रहीं विरोधी पार्षदों का भ्रष्टाचार, जनता मूकदर्शक
फरार ठेकेदार बना पुलिस के लिए चैलेंज, वारंट जारी ना करने पर न्यायालय पर उठ रहे सवाल

शिवपुरी। नगरपालिका शिवपुरी के एपीसोड में पार्षदों के इस्तीफे का वो ही हश्र हुआ, जो पहले से तय था। उधर नपाध्यक्ष अब विरोधी पार्षदों के वार्डों में घूम-घूम कर उनके भ्रष्टाचार ढूंढ रही हैं, और जनता मूक दर्शक बनकर देख रही है। पिछले 39 दिनों से फरार भ्रष्टाचार का मुख्य आरोपी ठेकेदार भी पुलिस के लिए चैलेंज बन गया, जबकि न्यायालय द्वारा गिरफ्तारी वारंट जारी ना करने से पड़ोसी मजिस्ट्रेट की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े होने लगे।
गौरतलब है कि परिषद के 18 पार्षदों ने कलेक्ट्रेट जाकर अपने इस्तीफे दिए थे। चूंकि उन्होंने इस्तीफा देने का कारण नपाध्यक्ष की भ्रष्ट कार्यप्रणाली का कारण बताया, जिसकी जांच पहले ही प्रशासन करवा चुका है। चूंकि जांच में नपा का भ्रष्टाचार भी उजागर हो चुका है, इसलिए पार्षदों के इस कारण को ठीक ना मानते हुए कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी ने इस्तीफे अस्वीकार कर दिए। साथ ही कलेक्टर ने कहा कि हमने नपा के ऑडिटर पर भी कार्यवाही के लिए लिखा है, क्योंकि ऑडिटर की भी इसमें संलिप्तता नजर आ रही है। उन्होंने कहा कि नपा में गड़बड़ियां करके जो भी जिम्मेदार इधर-उधर ट्रांसफर करवाकर चले गए, उन्हें भी बख्शा नहीं जाएगा।
शहर को बर्बाद करने और भ्रष्टाचार का मुख्य आरोपी ठेकेदार अर्पित शर्मा की अभी तक गिरफ्तारी ना होने से पुलिस अधीक्षक भी किरकिरी हो रही है। क्योंकि 10 हजार का इनाम भी घोषित हुए लम्बा समय गुजर गया। सूत्रों की मानें तो जांच अधिकारी व कोतवाली पुलिस पर एसपी का प्रेशर बढ़ रहा है। बताते हैं कि न्यायालय द्वारा फरार ठेकेदार का गिरफ्तारी वारंट जारी ना कर मजिस्ट्रेट अपना पड़ोसी का फर्ज निभा रहे हैं, जबकि इस बात को लेकर जांच अधिकारी से उनकी तल्ख बहस होने की चर्चा भी सरगर्म है। चूंकि पुलिस की बदनामी अब अधिक हो रही है, इसलिए उम्मीद है कि अब ठेकेदार की गिरफ्तारी जल्दी हो सकती है।
अध्यक्ष पर लटक रही तलवार
शिवपुरी नपा में हुए एक भ्रष्टाचार की जांच जब एसडीएम ने की तो ठेकेदार सहित दो इंजीनियरों पर एफआईआर हो गई, जबकि नपाध्यक्ष और सीएमओ पर अभी मामला दर्ज होना शेष है। इसके अलावा एडीएम दिनेशचंद्र शुक्ला ने जो जांच की है, उसमें नपाध्यक्ष, सीएमओ सहित सभी अधिकारी और ऑडिटर के अलावा एकाउंटेंट तक की कारगुज़ारी उजागर हो गईं। उस जांच से यह स्पष्ट हो गया कि शहर विकास के लिए आई करोड़ों की राशि का बंदरबांट नहीं बल्कि लूटा गया। उस जांच में अभी तक कोई एफआईआर नहीं हुई, और उसमें प्रकरण दर्ज होगा, तो सभी की गर्दन नप जाएंगी। यही वजह है कि नपाध्यक्ष पर तलवार लटक रही है, जो कभी भी कुर्सी की बलि ले सकती है।

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इस्तीफा देने के लिए ऐसे बैठीं थीं पार्षद, जो अस्वीकार हो गए

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