
SDNEWS SHIVPURI|आउटसोर्स व प्रभारियों के पाइप से माल पी गए अधिकारी, कार्यवाही हुई आउटसोर्स वालों पर
जिले में करोड़ों के घोटाले उजागर हुए, कुछ दिन सुर्खियां बने, फिर चले गए जांच के जादुई डिब्बे में
शिवपुरी। शिवपुरी जिले में इतने घोटाले उजागर हुए कि यह जिला घोटालों के नाम से चर्चित हो गया। घोटालों को अंजाम देने वाले या तो प्रभारी थे या फिर आउटसोर्स कर्मचारी रहे, जिन्हें पाइप बनाकर विभाग का माल अधिकारी पी गए। जब मामले उजागर हुए तो कार्यवाही के नाम पर आउटसोर्स कर्मचारी को हटा दिया गया, या फिर एफआईआर दर्ज कर ली गई, लेकिन घोटाले की राशि की रिकवरी के लिए कोई प्रयास नहीं किए। यह सभी मामले जांच के जादुई डिब्बे में दम तोड़ रहे हैं।
गौरतलब है कि कोलारस सहकारी बैंक में 100 करोड़ से अधिक का घोटाला करने वाला प्रभारी एकाउंटेंट पाराशर था, जिसे चपरासी से प्रभारी एकाउंटेंट बनाया गया। इस घोटाला में जिला सहकारी बैंक के मैनेजरों ने भी जमकर माल कमाया, लेकिन बाद में जांच के दौरान उन्हें आउट कर दिया गया। करोड़ों का घोटाला हो गया, लोग अपने रुपयों के लिए भटक रहे हैं, लेकिन प्रशासन रिकवरी करने की बजाए अभी जांच ही कर रहा है। इसी तरह शिवपुरी जनपद में भी 3 करोड़ का घोटाला हुआ, जिसमें हिस्सेदार तत्कालीन जनपद सीईओ भी रहे, लेकिन आउटसोर्स कर्मचारी पर एफआईआर करवाकर सभी अधिकारी फ्री हो गए, और मामला जांच की पेटी में चला गया।
इसी तरह करेरा की तोड़ापीछोर सहकारी बैंक में भी 3 करोड़ का घोटाला हुआ, एफआईआर के बाद मामला जांच में चला गया। खनियाधाना शिक्षा विभाग में 80 लाख का घोटाला, पिछोर जनपद में भी 2 करोड़ का घोटाला, करेरा नगर परिषद में भी आउटसोर्स कर्मचारी ने लगभग 2 करोड़ का चूना लगा दिया। यह सभी घोटाले अधिकारियों के लॉगिन पासवर्ड से आउटसोर्स कर्मचारियों ने अंजाम दिए, जिसमें घोटाले की राशि का बड़ा हिस्सा उन अधिकारियों ने ही रखा, लेकिन कार्यवाही के नाम पर आउटसोर्स कर्मचारी पर गाज गिरा दी।
अपने रुपयों के लिए जनता परेशान
जिले में हुए इन घोटालों में आम जनता की मेहनत का पैसा, छोटे कर्मचारियों के भत्ते, मानदेय, जीवित लोगों को मृत बताकर उनके नाम से राशि हड़पने वाले आज भी मजे कर रहे हैं। जनता अपने जमा रुपयों के लिए भटक रही है, और जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी जांच की लॉलीपॉप पकड़ाकर इन मामलों पर पर्दा डालकर बैठे हैं।
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