
नायब तहसीलदार ने किया दिखावा, समय पर अस्पताल नहीं पहुंचा मासूम, हो गई मौत
मकान का छज्जा गिरने से मलबे में दब गए थे परिवार के 3 लोग, नायब बोले: 10 मिनिट रुके थे
शिवपुरी। करेरा जनपद की ग्राम पंचायत सिलारपुर में मकान का एक छज्जा गिर जाने से मलबे में बढ़कर उस परिवार के मासूम बच्चों शीत 3 लोग जख्मी हो गए। घायलों को करेरा अस्पताल भेजा गया, लेकिन यहां भी इलाज की जगह शिवपुरी रेफर कर दिया गया। चूंकि एंबुलेंस मौजूद नहीं थी, तो पब्लिक को दिखाने के लिए नायब तहसीलदार अपनी गाड़ी से घायलों को लेकर शिवपुरी के लिए रवाना हुए, लेकिन अमोला पर आधा घंटे तक गाड़ी रोककर एंबुलेंस का इंतजार करते रहे। बाद में सरपंच अपनी गाड़ी से घायलों को शिवपुरी लेकर आया, लेकिन इस दौरान 3 साल के मासूम ने दम तोड़ दिया। सवाल यह है कि यदि नायब एम्बुलेंस का इंतजार करने की बजाए अपनी गाड़ी से घायलों को शिवपुरी ले जाते, तो समय पर उपचार मिलने से मासूम की जान बच सकती थी। हालांकि नायब कह रहे हैं कि हम 10 मिनिट तक रुके थे।
करेरा के सिलारपुर में रहने वाले रामगोपाल आदिवासी के मकान का छज्जा आज शाम को एकाएक भरभरा कर गिर गया। जिसके मलबे में 3 साल का बेटा रिधाश, 5 साल की बेटी प्रार्थी और बच्चों का चाचा कदम आदिवासी मलबे में दबने की वजह से घायल हो गए। घायलों को करेरा अस्पताल पहुंचाया गया, तथा सूचना मिलने पर थाईलदार कल्पना शर्मा ने नायब तहसीलदार अशोक श्रीवास्तव को पहुंचाया। करेरा अस्पताल के डॉक्टर व स्टाफ ने घायलों का उपचार करने की बजाए उनका शिवपुरी रेफरल पर्चा बना दिया। घायल तड़प रहे थे, लेकिन अस्पताल में एंबुलेंस ना होने की वजह से घायलों को शिवपुरी कैसे ले जाएं, इस बारे में अभी चिंता कर रहे थे। इसी बीच पब्लिक के बीच नायब अशोक श्रीवास्तव हीरो बने और अपनी गाड़ी में घायलों को लेकर शिवपुरी के।लिए रवाना हुए। जिसे देखकर अस्पताल में मौजूद लोगों ने नायब की तारीफ भी की।
करेरा अस्पताल से घायलों को लेकर रवाना हुए नायब श्रीवास्तव ने अमोला में अपनी गाड़ी यह कहकर रोक दी, कि अभी एम्बुलेंस आने वाली है। बताते हैं कि आधा घंटे तक घायल तड़पते रहे थे, और नायब एम्बुलेंस का इंतजार करते रहे। इस दौरान सिलारपुर का सरपंच अरविंद लोधी अपनी गाड़ी लेकर अमोला पहुंचे, और घायलों को लेकर शिवपुरी के लिए रवाना हुए। चूंकि एंबुलेंस का इंतजार करते हुए 3 साल।के।मासूम की हालत और भी अधिक।बिगड़ गई, तथा अस्पताल पहुंचकर उसने दम तोड़ दिया। इस पूरे घटनाक्रम ने स्वास्थ्य विभाग की एंबुलेंस सेवा की तो कलई खोली ही, साथ ही नायब तहसीलदार के अधूरे हीरो की खानी को भी उजागर कर दिया।
सरपंच अरविंद लोधी का कहना था कि में झांसी से लौटकर आया था, और जैसे ही मुझे मालूम हुआ, तो मैं अपनी गाड़ी से घायलों को लेकर शिवपुरी पहुंचा, जबकि घायल।
अमोला पर एंबुलेंस का इंतजार कर रहे थे।
उधर नायब तहसीलदार अशोक श्रीवास्तव का कहना है कि हमने अमोला पर केवल 10 मिनिट इंतजार किया, तभी सरपंच आ गए थे। वैसे बच्चे की।मौत तो करेरा अस्पताल में ही हो गई थी, ऐसा मुझे डॉक्टर ने बताया था। लेकिन अब बड़ा सवाल यह भी है कि यदि मासूम की मौत करेरा में हो हो गई थी, तो नायब लाश को लेकर शिवपुरी रवाना क्यों हुए..?. रामगोपाल।के दो बेटे व एक बेटी थे, जिसमें एक बेटा दुनिया छोड़ गया, जबकि बेटी जीवन के लिए संघर्ष कर रही।है।
मकान का टूटा छज्जा, जिसमें दबने और इलाज में देरी से गई मासूम की जान
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