
नगरपालिका मामले में पड़ी राख, नीचे सुलग रहे कार्यवाही के अंगारे, नपाध्यक्ष की रवानगी तय
शिवपुरी नपा के चल रही इस लड़ाई का परिणाम भले ही ना आया हो, लेकिन चेहरों से पर्दा उठ गया
शिवपुरी। नगरपालिका शिवपुरी का मुद्दा भले ही ठंडा पड़ गया हो, लेकिन राख के नीचे अभी भी कार्यवाही के अंगारे सुलग रहे हैं। नपाध्यक्ष गायत्री शर्मा का जाना तो तय है, उसमें समय कितना लगेगा, यह कह पाना मुश्किल है। लगभग दो माह तक चले नपा के इस एपीसोड में भले ही अभी परिणाम कुछ ना आया हो, लेकिन इसमें कई चेहरों पर पड़े पर्दे खुल जाने से उनकी हकीकत जनता के सामने आ गई।
ज्ञात रहे कि पिछले तीन साल में नपा के बजट को कुछ इस तरह ठिकाने लगाया गया कि अब वार्डों में काम कराने के लिए राशि हो नहीं है, जिसके चलते पार्षद भी अब नगरपालिका आने की बजाए घर पर ही हैं। पिछले दिनों कलेक्ट्रेट में पार्षदों की बैठक लेने वाले प्रभारी मंत्री ने भले ही नपाध्यक्ष को हटाए जाने के मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं की, लेकिन प्रदेश स्तर पर पार्टी की बिगड़ रही छवि को बचाए रखने के लिए भ्रष्टाचार में दोषी अध्यक्षों को हटाए जाने का दावा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल कर रहे है। चूंकि अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से नपाध्यक्ष को रवानगी दी जाती, तो पार्टी नेताओं की किरकिरी हो जाती, क्योंकि वो एक राजनीतिक हार होती।
शिवपुरी नगरपालिका में हुए भ्रष्टाचार का खुलासा एडीएम की जांच में हो चुका है। जिसमें नपाध्यक्ष से लेकर सीएमओ, ईई, एई, सब इंजीनियर के अलावा ऑडिटर की भूमिका भी संदिग्ध बताते हुए, उन्होंने तो केशबुक में भी बड़ी गड़बड़ियां पकड़ी हैं। शिवपुरी नगरपालिका में हुए प्रमाणित भ्रष्टाचार के।पूर्व में दर्ज मामले में नपाध्यक्ष और सीएमओ का नाम बढ़ाया जाकर, एक और एफआईआर दर्ज करके नपाध्यक्ष को आर्थिक अनियमितता के आरोप में घर बिठाना तय है। इस पूरे एपीसोड में जो पार्षद जनहित के मुद्दों पर परिषद की बैठक में चीख-पुकार करते थे, पिछले दिनों वो ही नैनीताल घूमते नजर आए। नपा में चले इस एपीसोड ने कई पार्षदों की हकीकत को सामने ला दिया।
नपाध्यक्ष के बदलने पर फिर आबाद होगी नपा
शहर विकास की जिम्मेदारी संभालने वाली नगरपालिका में वर्तमान स्थिति बेहद खराब है। पार्षद जहां दो गुटों में बंटे हुए हैं, तो वहीं नपाध्यक्ष भी अब पार्षदों को साधने की बजाए अपनी कुर्सी को संभालने की कवायद में जुटी हुई हैं।
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