
महिला बाल विकास में चल रही वसूली, दम तोड़ रहे कुपोषित, सिविल सर्जन रोक रहे मीडिया
कुपोषण के नाम पर पोषित हो रहे अधिकारी, चल रही खुलेआम वसूली, लोकायुक्त भी कर चुकी है ट्रैप
शिवपुरी जिले के ग्राम खांदी में रहने वाली सवा साल की कुपोषित बालिका ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। महिला बाल विकास विभाग के जिम्मेदार कुपोषण दूर करने की बजाए खुलेआम वसूली करके खुद को पोषित कर रहे हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि जिला अस्पताल में सिविल सर्जन के आदेश पर गेट के अंदर नहीं घुसने दिया जा रहा। आखिर अव्यवस्था के किस पहलू को मीडिया से छुपाने का प्रयास किया जा रहा है..?।
गौरतलब है कि बीते रोज एक कुपोषित बालिका ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। मृतका की मां ने करुण रुदन के बीच अपनी ससुराल पर भले ही आरोप-प्रत्यारोप लगाए, लेकिन यदि उसके गांव की आंगनबाड़ी अपना काम ठीक कर रही होती, तो इस कुपोषित बालिका को मौत से काफी पहले इलाज मिल जाता। कुपोषण को दूर करने के लिए संचालित महिला बाल विकास के अधिकारी खुद को पोषित करने के लिए खुलेआम वसूली कर रहे है, जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण नरवर की सीडीपीओ अनीता श्रीवास्तव को लोकायुक्त ने रंगे हाथों दबोचा, जबकि पोहरी की सीडीपीओ नीलम पटेरिया द्वारा खुलेआम लाखों की वसूली की।मांग करने का वीडियो वायरल होते ही उन्हें निलंबित कर दिया गया। इन दोनों मामलों ने इतना तो स्पष्ट कर दिया कि इस महकमे के जिम्मेदारों को कुपोषण की आड में खुद का पोषण दिख रहा है।
उधर सिविल सर्जन का प्रतिबंध समझ से परे
जिला अस्पताल में कुपोषित बच्चों के लिए अलग से एक वार्ड बनाया गया है, जहां पर कुपोषित बच्चों को स्वास्थ्य सुविधाएं दी जा रही हैं। कुपोषित बालिका की मौत के बाद एकाएक सिविल सर्जन डॉ. बीएल यादव ने मीडिया प्रवेश ही प्रतिबंधित कर दिया, जो पूरी तरह से गलत है। मीडिया जब संसद से लेकर कोर्ट में होने वाली बहस को कवर करती है, तो फिर जिला अस्पताल जैसे महत्वपूर्ण स्थान पर इस तरह की रोकटोक पूरी तरह से अवैधानिक है, जिस पर प्रशासन को भी हस्तक्षेप करना चाहिए।
कुपोषण से मृत हुई बालिका
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