September 30, 2025
खारिज हुई जमानत के आदेश में नपाध्यक्ष व सीएमओ पर लटकी तलवार

खारिज हुई जमानत के आदेश में नपाध्यक्ष व सीएमओ पर लटकी तलवार
भ्रष्टाचार मामले में नपाध्यक्ष, सीएमओ व ईईका नाम भी बढ़ सकता है एफआईआर में

शिवपुरी। नगरपालिका शिवपुरी में हुए भ्रष्टाचार में जितने दोषी सहायक यंत्री और उपयंत्री हैं, उतने ही नपाध्यक्ष, सीएमओ एवं ईई भी दोषी हैं। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि आज जो जमानत याचिका मजिस्ट्रेट ने निरस्त की है, उसमें इस बात का उल्लेख किया है।
मजिस्ट्रेट ने अपने आदेश में उल्लेख किया है कि श अभियुक्त सहायक यंत्री जितेंद्र परिहार और उपयंत्री सतीश निगम को जमानत का लाभ इसलिए मिला, क्योंकि उन्होंने एमबी बुक में सीएमओ के आदेश पर कार्य दर्ज किए गए। जांच प्रतिवेदन में यह पाया गया कि कार्यपालन यंत्री मनोहर बागड़ी की अनुशंसा पर लेखा एवं ऑडिट परीक्षण उपरांत मुख्य नगरपालिका अधिकारी (सीएमओ) और नपाध्यक्ष द्वारा फर्म मैसर्स शिवम् कंस्ट्रक्शन (अभियुक्त अर्पित शर्मा की फर्म) को भुगतान किया गया।
इस टिप्पणी से तो यही लगता है कि सह अभियुक्त जितेंद्र परिहार एवं सतीश निगम ने सीएमओ के आदेश पर कार्य एमबी बुक में दर्ज किया था, जबकि भुगतान करने में ईई मनोहर बागड़ी, सीएमओ और नपाध्यक्ष की भूमिका अहम रही है। इससे यह तय माना जा रहा है कि इस मामले में आगे चलकर ईई बागड़ी के अलावा सीएमओ और नपाध्यक्ष के नाम भी जोड़े जाएंगे। यानि वो भी भ्रष्टाचार अधिनियम के मामले में दोषी बनेंगे।
चूंकि अभी नगरपालिका में जो जांच एडीएम ने की है, उसमें दर्जनों फाइल गुम हैं, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण रोड रेस्टोरेशन की साढ़े 4 करोड़ की फाइल भी आरोपी ठेकेदार अर्पित शर्मा ने गायब कर दी है। इसके अलावा नपा में बनाई गई एक-एक लाख रुपए वाली फाइलें भी नपा के रिकॉर्ड से गायब हैं।

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