
जांच में खुलासा: प्रोसिडिंग रजिस्टर, पीआईसी रजिस्टर व निर्माण की फाइलें अध्यक्ष के घर पर
भवन निर्माण अनुमति और नामांतरण के मामले जबरन लटकाए बैठे, 88.26 लाख लाइट में खर्च
शिवपुरी। नगरपालिका शिवपुरी की जांच जब एडीएम दिनेशचंद्र शुक्ला ने की, तो नपा का प्रोसिडिंग रजिस्टर, पीआईसी रजिस्टर एवं निर्माण की फाइलें नपाध्यक्ष के घर होना बताया गया। निर्माण की 45 फाइलें तो नगरपालिका से गायब हैं, जबकि भवन अनुमति और नामांतरण के मामलों को जबरन लटका कर रखे जाने से शहर की जनता परेशान होकर चक्कर लगा रही है। महत्वपूर्ण बात यह है कि अक्तूबर 2023 से अप्रैल 2024 यानि 7 माह में बिजली के नाम पर 88.26 लाख का भुगतान किया गया। अपनी जांच रिपोर्ट में एडीएम ने माना है कि नपा की कैशबुक में भी बहुत गड़बड़ियां की गई।
शिवपुरी नगरपालिका में लाइट, चौक सहित अन्य सामग्री खरीदने की 15 फाइलों में से 6 फाइल गायब हैं। जिसमें भुगतान 88,26,175 रुपए का भुगतान किया गया। जांच रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि बिजली का सामान कई बार क्रय किया गया है, जिसकी जांच होना चाहिए।
शहर में मकान बनाने के लिए नगरपालिका की भवन निर्माण अनुमति की 88 फाइलें लंबित पाई गिन, जिसमें से 55 की तो अनुमति देने की निर्धारित समयावधि भी निकल गई, जबकि 16 फ़ाइल कंप्लीट होने के बाद सीएमओ की आईडी पर लंबित हैं। वहीं नामांतरण की 520 फाइलें लंबित पाई गईं, जबकि 290 की पीआईसी से अनुमति होना शेष है।
गौरतलब है कि शहरवासी भवन निर्माण की अनुमति एवं नामांतरण के लिए चक्कर लगाते रहते हैं, लेकिन यहां पदस्थ विभाग प्रमुख व कर्मचारी बिना रिश्वत के कोई काम नहीं करते।
जांच रिपोर्ट में एडीएम ने यह भी लिखा
कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी के निर्देश पर एडीएम दिनेशचंद्र शुक्ला ने जांच के बाद जो रिपोर्ट बनाई, उसमें नगरपालिका में बहुत बड़े भ्रष्टाचार की आशंका जताई है। उन्होंने लिखा है कि नपा की कैशबुक को देखने पर पता चला कि उसमें जल प्रदाय, विद्युत सामग्री क्रय, वाहन मरम्मत एवं रोड रिस्टोरेशन मद की सैकड़ों फाइलें बनाकर अत्यधिक खर्च किया गया। वित्तीय अनुशासन का घोर उल्लंघन भी किया गया है, जिसकी अलग से विस्तृत जांच होना बहुत ही जरूरी है।
एडीएम की जांच रिपोर्ट
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