
इंजीनियरों की जमानत के खिलाफ भी दिया आवेदन, हो सकती है खारिज
मजिस्ट्रेट शर्मा के निर्णय पर एक और उठ रहा सवाल, एक्सटेंशन पर रुके हैं शिवपुरी
शिवपुरी। शहर विकास के नाम पर नगरपालिका में हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ दर्ज हुए प्रकरण में दो इंजीनियरों को जमानत दी गई थी। यह जमानत भी मजिस्ट्रेट विवेक शर्मा ने दी है। इस निर्णय के खिलाफ भी हाईकोर्ट में आवेदन दिया गया है। ज्ञात रहे कि मजिस्ट्रेट शर्मा का ट्रांसफर अप्रैल में हो गया था, लेकिन वो दिसंबर तक एक्सटेंशन लेकर शिवपुरी में ही रुक गए।
ज्ञात रहे कि बुधवार को सभी समाचार पत्रों में हाईकोर्ट जज का शिवपुरी के मजिस्ट्रेट विवेक शर्मा के निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट जज राजेश कुमार गुप्ता ने न केवल जांच के आदेश दिए हैं, बल्कि मुख्य न्यायाधीश से भी शिकायत की है। मजिस्ट्रेट विवेक शर्मा ने शिवपुरी में भू अर्जन में 5 करोड़ का घोटाला करने वाले रूपसिंह परिहार के खिलाफ दर्ज मामले में धाराओं को घटाकर उसे राहत देने का प्रयास किया, जिसे हाईकोर्ट जज ने पकड़ लिया।
वहीं पिछले दिनों शिवपुरी शहर में बदहाल सड़कों में गिट्टी-जीरा डालने के मामले में दर्ज हुए भ्रष्टाचार अधिनियम के आरोपी बने सहायक यंत्री जितेंद्र परिहार एवं उपयंत्री सतीश निगम को पुलिस ने गिरफ्तारी और पीआर के बाद जब विवेक शर्मा की अदालत में पेश किया तो कथित तौर पर बिना केस डायरी मंगवाए मजिस्ट्रेट ने उनकी जमानत स्वीकार कर ली थी। मजिस्ट्रेट द्वारा ली गई इस जमानत के खिलाफ भी हाईकोर्ट में शिकायत की गई है।
ज्ञात रहे कि मजिस्ट्रेट विवेक शर्मा का ट्रांसफर अप्रैल 2025 को हो गया था, लेकिन वो एक्सटेंशन पर दिसंबर तक के लिए रुक गए। शिवपुरी रुकने के दौरान उन्होंने 5 करोड़ का घोटाला करने वाले आरोपी के खिलाफ दर्ज मामले में धाराओं को कम करके यह साबित कर दिया कि व्यवस्था में मजिस्ट्रेट भी सेट होने लगे हैं। हालांकि हाईकोर्ट जज ने उनके इस कारनामे की जांच के आदेश देने के साथ ही मुख्य न्यायाधीश से भी शिकायत की है। उधर जिन दोनों इंजीनियरों की जमानत ली गई, उसे भी खारिज कराने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
इस पूरे घटनाक्रम से यह तो समझ आ गया कि करोड़ों का घोटाला करने वालो को बचाने के लिए न्याय की कुर्सी पर बैठे लोग भी न्याय सिद्धांतों से समझौता करने से नहीं चूक रहे। यह सब देखकर लगता है कि गांधी जी वास्तव में ही आज भी दमदार हैं।
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