
जहां होना थीं शहर विकास की बातें, वहां हो गया अपराधियों का बोलबाला पार्षदों के परिजन पिट रहे, पुलिस से लगा रहे गुहार: परिवार की सुरक्षा के प्रति चिंतित, बता रहे अपराधियों के नाम
शिवपुरी। कभी पर्यटन नगरी के नाम से पहचानी जाने वाली शिव की नगरी शिवपुरी को शायद किसी की नजर लग गई। जिसका दुष्परिणाम कुछ यह हुआ कि जिस नगरपालिका में शहर विकास की बातें होना चाहिए थीं, वहां पर अपराधियों का बोलबाला हो गया। महत्वपूर्ण बात यह है कि शहर की बदहाली पर विधायक देवेंद्र जैन ने नरक पालिका कहकर पल्ला झाड़ लिया, और सांसद ने अपने चहेतों की बात को सच मानकर अभयदान दे दिया। ऐसे हालातों का असर विधानसभा ही नहीं, लोकसभा चुनाव में भी नजर आएगा।
गौरतलब है कि शिवपुरी को माधवराव सिंधिया प्रथम ने बसाया था। उस दौरान इसे फ्लावर हिल (फूलों की घाटी) कहा जाता था। फूलों की यह घाटी आज अपनी बदहाली पर रो रही है। इसे संवारने की जिम्मेदारी जिस नगरपालिका पर है, उसकी अध्यक्ष का नाम सिंधिया परिवार की पूर्व केबिनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने ही तय किया था। किस्मत का सितारा कुछ ऐसा बुलंद हुआ कि अध्यक्ष के।लिए वोट देने के एवज में टोकन मनी लेने वाले कुर्सी पर विराजमान हो गए। तीन साल।में 652 करोड़ का भारी भरकम बजट नगरपालिका ने खर्च कर दिया, लेकिन शहर की जनता आज भी सड़क, स्ट्रीट लाइट और पानी के लिए परेशान है।
बुधवार को एसपी ऑफिस में जब राठौर समाज के साथ पहुंचे पार्षद पति अनिल बघेल ने जहां अपने परिवार की जान की सुरक्षा मांगते हुए एडिशनल एसपी से कहा कि यदि मेरे परिवार को कुछ हुआ तो ठेकेदार अर्पित शर्मा और अध्यक्ष पति संजय दुबे पर कार्रवाई की जाए। उधर मारपीट का शिकार पार्षद ताराचंद राठौर के भाई के समर्थन में आए लोगों ने नपाध्यक्ष मुर्दाबाद के नारे लगाए। इस दौरान ठेकेदार के जो अपराध पुलिस के सामने गिनाए, उनमें नगरपालिका के टैंकर चोरी करने और कोरोना काल में बनाई गईं जालियां फार्म हाउस से बरामद होने के बाद भी कार्यवाही न होने की बात एएसपी से कही गई। नगरपालिका में चुनकर पहुंचे जनप्रतिनिधियों का डर देखकर लग रहा है कि अब शहर विकास की यह स्वायत्ती संस्था गुंडागर्दी का अड्डा बनकर रह गई।
एडिशनल एसपी को अपना दर्द बया करते पार्षद
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