September 30, 2025
बॉम्बे कोठी का जंगल बना मादा तेंदुआ का प्रसूति गृह, बच्चों को शिकार की ट्रेनिंग भी इसी जंगल में

SDNEWS SHIVPURI|बॉम्बे कोठी का जंगल बना मादा तेंदुआ का प्रसूति गृह, बच्चों को शिकार की ट्रेनिंग भी इसी जंगल में

मादा तेंदुआ फिर से हुई गर्भवती, इसलिए अब फिर से लगाने लगी बॉम्बे कोठी के आसपास चक्कर

शिवपुरी। सिंधिया छत्री के अंदर स्थित बॉम्बे कोठी और उसके आसपास के जंगल को एक मादा टाइगर ने अपने लिए सुरक्षित प्रसूति गृह बना लिया है। पूर्व में भी वो अपने बच्चों को इसी जंगल में रखकर विकसित कर चुकी है, और अब वो फिर गर्भवती होने की वजह से इसके आसपास चक्कर लगाने लगी है। महत्वपूर्ण बात यह है कि बॉम्बे कोठी के पास जंगल में मादा तेंदुआ ने अपने बच्चों को शिकार की ट्रेनिंग भी दी।
जिस तरह से जच्चा-बच्चा की सुरक्षा के लिए संस्थागत प्रसव जरूरी होता है, ठीक उसी तरह वन्यजीव भी अपने बच्चों को सुरक्षित जगह पर रखना पसंद करते हैं। छत्री ट्रस्ट ऑफिसर अशोक मोहिते बताते हैं कि छत्री परिसर के जंगल में पहले भी एक मादा तेंदुआ ने बच्चों को जन्म दिया था। चूंकि चारों तरफ बाउंड्री है, इसलिए दूसरे वन्यजीवों का अधिक खतरा इसमें नहीं रहता है, इसलिए मादा तेंदुआ ने अपने बच्चों की परवरिश इसी एरिया के जंगल में की थी।
मोहिते बताते हैं कि इस जंगल में बच्चों को शिकार करने की ट्रेनिंग भी उनकी मां देती थी। क्योंकि छत्री परिसर के जंगल में गाय-बैल और बछड़े करने आते हैं l। मादा तेंदुआ उनमें से ही कोई बछड़ा पकड़कर उसे शिकार के लिए पकड़ने और मारने की ट्रेनिंग अपने बच्चों को आसानी से देती रही। यानि इस जंगल में ना केवल मादा तेंदुआ के बच्चे बढ़ते रहे, बल्कि शिकार की बारीकियां भी सीखते रहे।

अब फिर आने लगी मादा तेंदुआ

पूर्व में जिस मादा तेंदुआ ने छत्री परिसर के जंगल में बच्चों को जन्म दिया था, उन्हें वो बड़ा होने के बाद परिसर से बाहर खुले जंगल में ले गई। अब फिर से मादा तेंदुआ इस परिसर के जंगल में चक्कर लगाने लगी है, जिससे यह लगता है कि वो अब फिर से बॉम्बे कोठी के जंगल में बने अघोषित प्रसूति गृह में अपने बच्चों को जन्म देने की तैयारी में है।

शिवपुरी के जंगल में तेंदुओं की भरमार

शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क के जंगल में टाइगर आने से पहले तक तेंदुओं का राज रहा। पूरे जंगल में घूमने वाले तेंदुए छोटे वन्यजीवों का शिकार तो कर लेते थे, लेकिन नीलगाय जैसे वन्यजीव पर कभी ट्राई नहीं किया। जिसके चलते तेंदुओं के साथ नीलगाय की संख्या भी अधिक बढ़ गई थी। अब चूंकि टाइगर आने के बाद माधव टाइगर रिजर्व बन गया, और जंगल में आजाद घूम रहे तेंदुओं को बाहर का रास्ता देखना पड़ा है। लेकिन तेंदुओं की संख्या अधिक होने से वो अब अक्सर रिहायशी इलाकों में भी नजर आने लगे हैं।

बॉम्बे कोठी का जंगल बना मादा तेंदुआ का प्रसूति गृह, बच्चों को शिकार की ट्रेनिंग भी इसी जंगल में

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