
अब मीडिया पर उठने लगे सवाल, तो निरुत्तर हो गए मीडिया हाउस, मैं खुश हूं कि गोदी मीडिया का हिस्सा नहीं हूं
बस और ट्रेन से यात्रा करने वाले पहले से ही थे परेशान, अब तो हवाई यात्रा भी नहीं हो पा रही, मीडिया मैनेजमेंट देश को ले जा रहा गर्त में
शिवपुरी से सैमुअल दास की कलम से::
क्या समय आ गया है कि अब विपक्ष तो दूर आमजन भी मीडिया की चुप्पी पर सवाल उठाने लगा। सरकार के मैनेजमेंट से संचालित हो रहे मीडिया हाउस के कर्ताधर्ता अब मौन साधे बैठे हैं, जब लोग यह पूछ रहे है कि रुपए का न्यूनतम अवमूल्यन होने से 1 डॉलर 90 रुपए के पार हो गया। इतना ही नहीं इंडिगो की फ्लाइट रद्द होने से हजारों लोग एयरपोर्ट में फंसकर पानी तक के लिए परेशान हैं। मैं आज खुश हूं, कि जिस गोदी मीडिया को हर कोई कोस रहा है, उसमें अब मैं शामिल नहीं हूं।
एक समय था कि जब लोग मीडिया पर भरोसा करते थे, लेकिन जबसे मीडिया हाउस मैनेज हुए और कृत्रिम खबरों का चलन शुरू हुआ, अब आमजन भी चैनल बदलकर हंसी मजाक के कपिल शर्मा के शो जैसे कार्यक्रम देख रहा है।जब देश के मूल मुद्दों को छोड़कर मीडिया गुणगान करने में जुट गई, तो हर कोई समझ गया कि सब कुछ मैनेज है। शायद यही वजह है कि आज पवन खेड़ा जैसे नेता “आज तक” चैनल के वरिष्ठ पत्रकार से सीधे ही बोल रहे हैं कि मीडिया डरने के साथ मर भी गया। विपक्ष के यह तीखे कटाक्ष सुनकर भी वरिष्ठ पत्रकार चुप हैं, क्योंकि नौकरी भी तो उनकी करनी है।
देश में महंगाई ने आमजन की कमर तोड़कर रख दी है, बेरोजगारी चरम पर है, खुद सरकार 80 करोड़ लोगों को गरीब मानकर मुफ्त राशन दे रही है, करेंसी बाजार में रुपया न्यूनतम 90 रुपए पर जा पहुंचा, हवाई यात्रा करने वाले भी तीन दिन से परेशान होकर भटक रहे हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। इतने ज्वलंत मुद्दों पर कोई न्यूज चैनल डिबेट नहीं कर रहा, बल्कि वो अभी भी जातिवाद के मुद्दे को गरमा कर लोगों का ध्यान भटकाने का प्रयास कर रहे हैं।
आज सुबह एक अग्निवीर से मुलाकात हुई, तो उसे यह भरोसा है कि वो परमानेंट की श्रेणी में शामिल है। हर तरफ भ्रष्टाचार मचा हुआ है, तथा अधिकारी अब सरकार के लिए नौकरी कर रहे हैं, जिसके चलते आमजन की सुनवाई कहीं नहीं हो रही।
देश एक बार फिर गुलामी की दहलीज पर जा पहुंचा है, लेकिन इस बार गुलाम बनाने वाले अंग्रेज नहीं बल्कि हमारे देश के अंबानी-अडानी जैसे उद्योगपति होंगे, जिनके हजारों करोड़ के कर्ज सरकार ने माफ कर दिए। मैं एक महीने तक सिंगरौली में ब्यूरो रहा, उस दौरान देखा था कि जो कोयले वाली जमीन अड़ानी को मिली थी, उस पर रहने वाले गरीब परिवारों को रात के अंधेरे में पुलिस और प्रशासन ने खदेड़ा था। उनकी सुनवाई करने वाला कोई नहीं था। बिजली के बिल हाई फाई कर दिए गए, तथा सोलर प्लेट भी अब अड़ानी के नाम से ही बिक रही हैं। कभी फक्र था कि हम मीडिया में हैं, लेकिन अब उसकी हालत देखकर मन में सुकून है कि मुझ पर किसी गोदी मीडिया हाउस का ठप्पा नहीं है। समय के साथ मीडिया बदलता था, लेकिन इस हद तक गुलामी करने लगेगा, कभी सोचा नहीं था।








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