
अभी तक गौवंश पर हो रही थी राजनीति, अब जमीन कब्जाने में हो रहा उपयोग, कई गाय मृत
फसलों को बचाने या सरकारी जमीन पर कब्जा करने के फेर में कई दिनों तक बांधा गौवंश, पुलिस ने दर्ज किया मामला
शिवपुरी। गौवंश पर राजनीति तो लंबे समय से हो रही है, लेकिन धरातल पर वो तड़प-तड़प कर दम तोड़ रहा है। ऐसा ही एक मामला बुधवार को दिनारा के ग्राम सेबंडीखुर्द के राजापाट पर सामने आया, जहां कई गाय भूखी प्यासी बंधी मिलीं तो कई गायों के कंकाल मिले। सूचना मिलने पर पहुंची दिनारा पुलिस ने कार्यवाही शुरू कर दी है।
दिनारा निवासी संतोष सांवला ने आज राजापाट पर पहुंचकर देखा, तो वहां कई छोटे-बडी गाय रस्सी से बंधी हुई थीं। कहीं रस्सी पत्थर से दबी थी तो कहीं पास के पेड़ से बंधी थी। इसमें सबसे दर्दनाक नजारा वो था, जब कुछ गायों के कंकाल तथा मूंछ मृत गायों के गले में भी रस्सी बंधी मिलीं। जिस जगह पर इन गायों को बांधा गया था, वो लगभग 6 बीघा शासकीय जमीन है।
इसमें पहली संभावना यह थी कि किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाने की वजह से गौवंश को एक जगह पर बांध दिया गया होगा। लेकिन ऐसा अमूमन होता नहीं है। जबकि दूसरी आशंका यह जताई जा रही है कि इस सरकारी जमीन पर कुछ स्थानीय लोग कब्जा करना चाहते हैं, जिसके चलते उन्होंने वहां पर अलग अलग जगह गौवंश को बांध दिया था। उनका मानना यह रहा होगा कि मवेशियों को बांधने के बाद उक्त जमीन पर धीरे धीरे कब्जा कर लेंगे। लेकिन उनका यह लालच कई मूक पशुओं की मौत का सबब बन गया। मौके पर पहुंची दिनारा पुलिस ने सभी मवेशियों को रस्सी से मुक्त कराया। साथ ही पूछताछ में कुछ नाम सामने आए हैं, जिनके खिलाफ कार्यवाही की जा रही है।
गौवंश पर हो रही सिर्फ राजनीति
गौवंश पर अभी तक सिर्फ राजनीति हुई है। पिछले माह कंप्यूटर बाबा ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि यदि गौमाता को राष्ट्रीय पशु का दर्जा नहीं मिला तो हम प्रदेश भर से गायों को इकठ्ठा करके भोपाल में मुख्यमंत्री के बंगले में पहुंचाएंगे। पिछले दिनों शिवपुरी आए कथावाचक पंडित धीरेन्द्र शास्त्री ने भी गौमाता को राष्ट्रीय पशु बनाए जाने की बात कही थी। यानि गौमाता केवल राजनीतिक मोहरा बनकर रह गई है।





