
कलेक्ट्रेट में लोकायुक्त की टीम ने एडीएम आफिस से स्टेनो को रिश्वत लेते दबोचा
जिले में रिश्वतखोरी चरम पर,बाबुओं के माध्यम से रिश्वत वसूल रहे अधिकारी, फिर पहचानते भी नहीं
शिवपुरी। यूं तो कलेक्ट्रेट के अधिकारी बैठते हैं, तथा यहां पर लोग अपनी फरियाद लेकर आते हैं। गुरुवार की दोपहर कलेक्ट्रेट के।एडीएम आफिस में लोकायुक्त की टीम आ गई, और एडीएम के स्टेनो को 5 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ दबोच लिया। स्टेनो ने बताया कि रिश्वत का माल अधिकारी को भी देना पड़ता है, लेकिन अधिकारी इस बात से खुद को अलग करने का प्रयास कर रहे हैं।
शिवपुरी जिले में भ्रष्टाचार चरम पर है, और बिना रिश्वत के कोई काम नहीं हो रहा। कुछ आवेदक परेशान होकर लोकायुक्त की शरण में जाता है, तो रिश्वतखोर का चेहरा सामने आ जाता है। एडीएम आफिस का स्टेनो मोनू शर्मा भी सोशल मीडिया पर जनहित व राष्ट्रहित के स्लोगन डाला करते थे, लेकिन आज जब लोकायुक्त ग्वालियर की टीम ने रिश्वत लेते पकड़ा तो हर कोई बोला, ठीक हुआ क्योंकि वो बिना रुपए लिए कोई काम नहीं करता था।
ग्राम श्रीपुर चक तहसील रन्नौद कोलारस के ध्यानेंद्र सिंह ने बताया कि हमारी पैतृक जमीन 50 बीघा है, जिसमें पिता का नाम गलत दर्ज हो गया था। नाम दुरुस्ती के लिए ध्यानेंद्र ने एडीएम आफिस में आवेदन लगाया था। लीगल काम के बदले भी एडीएम का स्टेनो मोनू शर्मा ने 20 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी। जिसमें से 15 हजार रुपए की रिश्वत दो किश्तों में मोनू ने ले ली थी, आज दोपहर में आखिरी किश्त के साथ लोकायुक्त की टीम को भी फरियादी ले गया। जैसे ही मोनू ने 5 हजार रुपए लिए, आसपास छिपी लोकयुक्त की टीम ने आकर उसे दबोच लिया।
मोनू कह रहा, सबको बांटते थे, एडीएम बोले: गलत बात है
आज जब एडीएम के स्टेनो मोनू शर्मा को।पकड़ा गया, तो फरियादी ध्यानेंद्र ने बताया कि मोनू का। कहना था कि यह पैसा मै अकेले नहीं रखता हूं, बल्कि अपने साहब को भी हिस्सा देना पड़ता है। जब इस संबंध में एडीएम दिनेशचंद्र शुक्ला से जब पूछा तो वे बोले कि ऐसा कुछ नहीं है। साथ ही उन्होंने यह भी खुलासा किया कि जिस काम के बदले मोनू ने रिश्वत ली, वो काम उसका था ही नहीं, वो काम तो रीडर करते हैं। यानि साहब के दफ्तर में रिश्वत वो ले रहा है, जिसका वो काम है ही नहीं।
कलेक्ट्रेट में तीसरी, एडीएम आफिस में लोकायुक्त की दूसरी कार्यवाही
शिवपुरी जिले में यूं तो लोकायुक्त लगभग हर महीने ही किसी न किसी शिकार को दबोचती है, लेकिन कलेक्ट्रेट में यह तीसरी तथा एडीएम आफिस में दूसरी बार रिश्वतखोर दबोचा। इससे पहले एडीएम जेड यू शेख को पकड़ा था, जबकि कलेक्ट्रेट परिसर में ही आदिम जाति कल्याण का बाबू भी लोकयुक्त ने पकड़ा था।

रिश्वतखोर एडीएम का स्टेनो मोनू, जिसे लोकायुक्त ने पकड़ा





