December 1, 2025
शिवपुरी में क्या फिर आ गया राजशाही का दौर या फिर हिटलरशाही?

शिवपुरी में क्या फिर आ गया राजशाही का दौर या फिर हिटलरशाही?
सत्ताधारी पार्षदों का उखाड़ा टैंट, पार्षदों ने खोली नगरपालिका में चल रहे भ्रष्टाचार को पोल

शिवपुरी। राजशाही और हिटलरशाही को खत्म हुए अरसा गुजर गया, लेकिन शिव की नगरी शिवपुरी एक बार फिर उसी दौर से गुजर रही है। विपक्षी तो दूर सत्ताधारी दल के पार्षदों के धरना स्थल का टेंट रातोंरात उखड़वा दिया गया। बावजूद इसके पार्षदों ने हिम्मत नहीं हारी, और खुले असमान के नीचे बैठकर उन्होंने परत दर परत भ्रष्टाचार को पोल खोली, और बताया कि कैसे शहर विकास के नाम पर आई राशि का बंदरबांट करके अपनी जेब भर रहे हैं।
यह बात सही है कि शिवपुरी कभी गुलाम हुआ करती थी, और यहां पर सिंधिया राजवंश का राज हुआ करता था। आजादी के बाद राजशाही तो कागजों में खत्म हो गई, लेकिन धरातल पर हालात अभी भी वैसे ही हैं। इनके पूर्वज शायद पहले प्रजा की गुहार सुन लिया करते होंगे, लेकिन यह तो पूरी तरह से अनसुनी करके अपनी ताकत से हर विरोधी आवाज को दबाना चाहते हैं। लेकिन शायद वो अब यह भूल रहे हैं कि जनता अपने अधिकारों के प्रति सजग है, और वो अपनी नाराजगी का परिणाम 2019 में बता भी चुकी है। बावजूद इसके नगरपालिका के प्रमाणित भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद भी भ्रष्ट अधिकारी और जनप्रतिनिधि अभी भी कुर्सी पर जमे होकर जनहित के कामों के लिए आई राशि से अपनी जेब भर रहे हैं। दूसरी तरफ शहर की पौने 3 लाख की आबादी सड़क, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधा के लिए परेशान है।
नपा परिसर में धरना दे रहे पार्षद यह मांग कर रहे हैं कि नपाध्यक्ष, सीएमओ एवं ईई का नाम भी भ्रष्टाचार अधिनियम के दर्ज मामले में जोड़ा जाए। जनप्रतिनिधि और अधिकारियों को भी यह डर है कि उनका नाम भी उस भ्रष्टाचार में जुड़ सकता है, जिसमें ठेकेदार लंबे समय से जेल में बंद है। शायद इसी डर के चलते उक्त तिकड़ी ने रातोरात टैंट -तंबू उखड़वा दिया।

भ्रष्टाचार के कुछ उदाहरण, जो पार्षदों ने बताए:

– गुरुद्वारा-मधव चौक के बीच नाले के पास 40 करोड़ की शासकीय संपत्ति को नपा ने बड़ा लेनदेन करके बेच दिया, जबकि उसमें प्रशासन एवं हाईकोर्ट ने उसे शासकीय बताया है।
– नपा में वाहनों के मेंटेनेंस व टायर बदलने की सिर्फ फाइल बनती है, जिस पर नपाध्यक्ष, सीएमओ व एई के हस्ताक्षर करके भुगतान निकाला जाता है।
– पानी की मोटर मरम्मत का टेंडर 1 करोड़ का हुआ, जबकि उसका भुगतान साढ़े 4 करोड़ रुपए किया गया।
– थीम रोड सुंदरता के नाम पर 12 करोड़ रुपए का भुगतान नगरपालिका से किया गया, जबकि शासन से एक रुपया भी नहीं आया।
– सड़कों की मरम्मत (रोड रेस्टोरेशन) के लिए आई साढ़े 4 करोड़ की राशि भी डकार गए।

एक बड़ा सवाल: चोरों के साथ बनाएंगे क्या आधुनिक पर्यटन नगरी?

पिछले दिनों शिवपुरी शहर के विकास को लेकर केंद्रीय मंत्री एवं क्षेत्रीय सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक बैठक ली। जिसमें शिवपुरी को आधुनिक पर्यटन नगरी बनाने का दावा किया गया। बड़ा सवाल यह है कि क्या वो ऐसी चोर मंडली के साथ मिलकर शहर को आधुनिक बनाएंगे?,
24 नवंबर से शहर में लाखों की भीड़ पंडित धीरेन्द्र शास्त्री की भागवत कथा सुनने आ रही है। जिसमें आसपास के जिलों से भी लोग आएंगे। वो शिवपुरी की क्या तस्वीर अपनी आंखों में बसाकर ले जाएंगे।

शिवपुरी में क्या फिर आ गया राजशाही का दौर या फिर हिटलरशाही?

बिना टैंट के धरना स्थल पर पार्षदगण

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