
किसान को पहले ही रुला रही प्रकृति, अब तुम तो अन्नदाता के साथ ऐसा छलावा तो मत करो
जब खेत में नहीं होगा अनाज,या फसल होगी बर्बाद, तो क्या खाओगे?, कैसे जिंदा रहोगे?
शिवपुरी। प्रकृति किसान को पहले ही रुला रही है, अगली फसल के लिए कर्जा करके किसान खाद के लिए कभी लाइन में घंटों लगकर तो कभी ब्लैक में अधिक दाम दे रहा है। ऐसे में अन्नदाता के साथ नकली खाद देकर न केवल उसके साथ छलावा किया जा रहा है, बल्कि उसे आत्महत्या के लिए प्रेरित किया जा रहा है। गुरुवार को बड़ौदी के पास एक किराए के गोदाम से 1200 कट्टा नकली खाद प्रशासन ने जब्त किया। इसके साथ ही प्रशासन को खाद की कालाबाजारी करने वालों की भी धरपकड़ करनी चाहिए।
शिवपुरी के जनसंपर्क विभाग से लगभग हर दिन ही खाद के आंकड़े कुछ ऐसे दिए जाते हैं, जिन्हें देखकर लगता है कि जिले में खाद की कोई कमी ही नहीं है। वहीं इसके उलट खाद के लिए किसान आधी रात से लाइन में लगकर अपने नम्बर का इंतजार करते हुए मिल रहा है। खाद के लिए मारामारी की एक वजह यह भी है कि जब भी खाद की रैक आती है, तो सरकारी सोसायटी के अलावा बड़ी मात्रा में खाद प्राइवेट दुकानदारों के गोदामों में पहुंचा दी जाती है। जो खाद सोसायटियों पर पहुंचता है, उसमें से अधिकांश खाद तो पीछे के रास्ते से प्रभावशाली लोगों और उनके नजदीकियों को पहुंचा दी जाती है। ऐसे में खाद के लिए आधी रात से लाइन में लगने वाले उन किसानों की भीड़ रहती है, जिसकी कहीं कोई पहुंच नहीं है। सोसायटी से लगभग डेढ़ गुना अधिम रेट में प्राइवेट खाद विक्रेता बेचकर कालाबाजारी कर रहे हैं, और जिस किसान के पास ब्लेक में खाद खरीदने की व्यवस्था है, वो यह सोचकर कि बोवनी समय पर हो जाएगी, कालाबाजारी का शिकार हो रहा है। खाद की डिमांड को देखते हुए शिवपुरी के दो युवकों दीपक अग्रवाल एवं मोनू कदम ने बड़ौदी के पास एक हॉलनुमा गोदाम पर किराए पर लेकर दो महीने तक खाद बेचा। वो तो किसान संघ के जिलाध्यक्ष की नजर इस दुकान पर पड़ गई, तो वहां से 1200 कट्टे नकली खाद डीएपी के जब्त किए। जिनकी कीमत 16 लाख 20 हजार रुपए है। इस खाद का असर फसल पर नजर नहीं आ रहा है। हालांकि जिला कलेक्टर ने इस संबंध में सख्त चेतावनी दी है।

नकली खाद पकड़ने वाली प्रशासनिक टीम






