
सिद्धेश्वर मंदिर परिसर को बनाया व्यवसायिक, घटा रहे मेले का क्रेज, जनता की जेब काट रहे मेला और पार्किंग वाले
चार पहिया वाहन की पार्किंग वसूल रहे 50 रुपए, ठेकेदार के पैसा जमा न करने पर बंद भी कर दिया था मेला
शिवपुरी। इंसान अपने घर-जमीन के लिए लड़ा रहा है, और दूसरी तरफ भगवान के नाम की जमीन का व्यवसायिक उपयोग कर रहे हैं। शहर के अधिकांश प्राचीन बड़े मंदिरों पर किसी परिवार या कुछ प्रभावी लोगों का कब्जा है, और उससे होने वाली बड़ी आय को वो लोग अपनी कमाई मान रहे हैं, लेकिन शहर का सिद्धेश्वर मंदिर प्रशासन का होने के बावजूद अब व्यवसायिक बन गया। यहां शायद ही कोई महीना ऐसा जाता होगा, जब यहां मेला ना लगा हो। जिसके चलते शिवपुरी में भरने वाले पारंपरिक मेले का क्रेज कम होता जा रहा है। वर्तमान में जो मेला लगा है, उसमें कभी लड़ाई हो रही है, तो कभी ठेकेदार द्वारा भुगतान ना जमा करने से मेला ही बंद करवा दिया गया। इसमें महत्वपूर्ण बात यह है कि मेला लगाने के नाम पर खुली लूट करके पार्किंग के नाम पर चार पहिया वाहनों से 50 रुपए वसूल किए जा रहे हैं।
शहर शिवपुरी में साल में एक बार श्री सिद्धेश्वर मेला भरता है, जिसका इंतजार पूरे साल बच्चों से लेकर बड़े तक करते थे, कि इस बार मेले से वो सामान लेकर आएंगे। यह मेला सिद्धेश्वर मंदिर परिसर में लगाया जाता है, जिसका भुगतान मेला ठेकेदार नगरपालिका को देता है, और नपा एक निर्धारित किराया प्रशासन के धर्मस्व विभाग (जिसके मुखिया एसडीएम होते है) को जमा करता है। इस मंदिर परिसर में जब मेला नहीं भरता था, तब बच्चे यहां क्रिकेट सहित अन्य खेल खेलते थे। पिछले कुछ समय से प्रशासन ने इस मंदिर को मेलों के लिए किराए पर देना शुरू कर दिया। इन मेलों को लगवाने के एवज में लाखों रुपए की आय मंदिर के नाम पर प्रशासन को हो रही है। वर्तमान में संचालित मेला 15 लाख रुपए में लगना बताया जा रहा है, जिसमें से 10 लाख रुपए ठेकेदार ने एक दिन पहले ही जमा किया है। जबकि सिद्धेश्वर मेले का ठेका पिछली बार नगरपालिका ने 65 लाख रुपए में दिया था। एक ही जमीन पर लगने वाले दो मेलों के रेट में इतना बड़ा अंतर भी कई सवाल खड़े करता है।
50 रुपए पार्किंग वसूली आई सामने
वर्तमान मेले में भी हर दिन बड़ी संख्या में लोग मेला घूमने जा रहे हैं। जिसमें चारपहिया वाहन की पार्किंग के नाम पर 50 रुपए वसूला जा रहा है। जिसका वीडियो भी सामने आया है। इस तरह मेलों के नाम पर शहर की जनता को लूटा जा रहा है।
मंदिर में लाइट तक नहीं, हुई शिकायत
जिस सिद्धेश्वर मंदिर को इतना बड़ा व्यवसायिक केंद्र बना दिया, उसमें लाखों रुपए मेले के बदले में लेने के बाद भी लाइट तक नहीं लगाई जा रही। जिसकी शिकायत पिछले दिनों जनसुनवाई में हुई है।
बोले सरकारी पुजारी: खाली मैदान का हो रहा उपयोग
सिद्धेश्वर मंदिर की खाली जगह पर बच्चे खेलते रहते थे, जिसे मेले के लिए देकर मंदिर की आय बढ़ा रहे हैं। लाइट की शिकायत तो केला देवी मंदिर के पुजारी ने करवाई है, जबकि उस मंदिर पर आने वाली चढ़ौती वो खुद ही रखता है।
गिरीश मिश्रा, केयरटेकर व पुजारी सिद्धेश्वर मंदिर

चारपहिया वाहन से 50 रुपए पार्किंग के नाम पर वसूली, जबकि 20 रुपए लगते हैं






