
कार्यक्रम निरस्त का निर्णय सही: मौसम ने हर तरफ से तोड़ा किसान
सभी विभागों में पैसा बांटकर अपना लीगल काम करवा रहा किसान, पूरा कर रहा ट्रैफिक का टारगेट
शिवपुरी। महल के युवराज और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पुत्र महान आर्यमन की मौजूदगी में बुधवार 29 अक्टूबर को होने वाला क्रिकेट एसोसिएशन का कार्यक्रम निरस्त हो गया। जबकि शहर में 27 अक्टूबर की रात से ही स्वागत द्वार बनाने का काम शुरू हो गया था। इसकी वजह- मौसम की मार से बेहाल हुआ किसान जब दर्द में है तो स्वागत सत्कार ठीक नहीं, बताई जा रही है। वैसे किसान के साथ हर कोई खिलवाड़ कर रहा है, इधर प्रकृति ने किसान को एक फसल का बड़ा नुकसान दे दिया, तो उधर सभी सरकारी विभागों में अपने लीगल काम के लिए भी पैसा देने वाला किसान शहर में ट्रैफिक के टारगेट पूरा कर रहा है। हमारे नेता चिल्लाते रहे, लेकिन किसान की आय दुगना नहीं हो पाई। इसका एक कारण यह भी है कि उसे अपना हर काम कराने के लिए सचिव से लेकर ट्रैफिकमेन के हाथ में कुछ रखना पड़ता है।
दुनिया में हो रहा जलवायु परिवर्तन (क्लाइमेट चेंज) की वजह से बरसात का टाइम टेबल गड़बड़ा गया। हालांकि सरकार के नुमाइंदों यानि कृषि विभाग के कर्मचारियों को यह ट्रेनिंग दी गई कि किसानों को जलवायु परिवर्तन के दौर में कैसे फसलों का बदलाव करें। अधिकांश फील्ड कर्मचारी घर बैठे ही नौकरी कर रहे हैं, तथा किसान अभी भी पारंपरिक फसलों की बोवनी कर रहा है। जिले में इस बार भी मक्का की अच्छी पैदावार हुई थी, लेकिन बारिश ने नुकसान कर दिया, तो वहीं पकी हुई धान का पौधा आडा होकर खेत में भरे पानी में डूबा रहा, तो वो बेकार हो जाएगा। मूंगफली का दाना भी इस बार कमजोर रहा है, जिससे किसान को इसका सपोर्ट भी नहीं मिल पा रहा। खाद के लिए किसान बारिश में छाता लगाकर आधी रात से लाइन में लगा हुआ है।
ऐसे लुटता है किसान:
– जमीन की नकल निकलवाने के लिए किसान का काम खिड़की से ना होकर उसके सामने बने दलाल के कमरे से होता है।
– खेत पर बिजली का ट्रांसफार्मर लगवाने के लिए लाइनमैन से लेकर वरिष्ठ तक को सुविधाशुल्क बांटता है।
– शहर की सीमाओं पर तैनात ट्रेफिकर्मियों को हर दिन चालान काटने का टारगेट दिया जाता है, जिसे पूरा करने में किसान का योगदान अधिक रहता है, क्योंकि वो सिफारिश के लिए किसी को फोन नहीं लगाता।
– राजस्व विभाग में भी किसान का काम बिना चढ़ोत्तरी के नहीं होता। तथा इसमें धोखा भी कर दिया जाता है, क्योंकि दूसरे पक्ष से अधिक पैसा लेकर जमीन उसके हिस्से में नाप दी जाती है। जमीनी विवाद में होने वाले खूनी संघर्ष की जड़ में पटवारी ही रहता है, और किसान पड़ोसी का सिर फोड़ता है।

खाद के लिए लाइन में लगा किसान






