
शिक्षा विभाग का कारनामा: 16 साल पूर्व नियुक्त आदिवासी शिक्षकों को हटाया, मानदेय में 1.44 करोड़ की गड़बड़ी
हर साल रिन्यूअल के लिए भेजनी थी जानकारी, 14 साल से नहीं भेजी, संकुल प्राचार्य ने हटाया
शिवपुरी। जिले के करेरा ब्लॉक में पदस्थ संविदा शिक्षक वर्ग-तीन के 4 आदिवासी शिक्षकों को हटाए जाने का एक आदेश 30 सितंबर 2025 को बालक उमावि के संकुल प्राचार्य अरविंद यादव ने जारी कर दिया। जिसमें उल्लेख किया गया है कि हर साल इन शिक्षकों के कार्य की रिपोर्ट भेजी जानी थी, जो वर्ष 2010- 11 तक भेजी गई। महत्वपूर्ण बात यह है कि पत्र में इन शिक्षकों का मानदेय 25 हजार रुपए लिखा है, जबकि उन्हें शुरुआत में ढाई हजार तथा वर्तमान में 5 हजार रुपए मानदेय दिया जा रहा था। महत्वपूर्ण बात यह है कि अब इस मामले में बात करने के लिए संकुल प्राचार्य फोन नहीं उठा रहे, तथा जिला शिक्षा अधिकारी सोमवार को पता करने की बात कह रहे हैं।
शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों में ही सरकार का बड़ा बजट खर्च होता है, लेकिन धरातल पर दोनों की हालत खस्ता है। सरकारी डॉक्टर अपना काम छोड़कर प्राइवेट प्रैक्टिस में माल कमा रहे हैं, तो वहीं सरकारी शिक्षक भी यदा कदा स्कूल जाकर अधिकांश समय में वो कोचिंग चला रहे हैं। आदिवासियों को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शिक्षित आदिवासी युवकों को संविदा वर्ग 3 का शिक्षक बनाया था। जिसमें करेरा ब्लॉक के भी 4 लोगों काशीराम, अनिल, शिवचरण एवं मोहर सिंह को शिक्षक बनाया था। सितंबर माह तक यह चारो शिक्षक अपने स्कूल में जाकर पड़ा रहे थे, तथा उन्हें 5 हजार रुपए मानदेय भी ही महीने दिया जा रहा था।
बीते 30 सितंबर को संकुल प्राचार्य करेरा अरविंद यादव ने एक पत्र जारी करते हुए उक्त चारों शिक्षकों को घर बिठा दिया। जारी किए गए पत्र में संकुल प्राचार्य ने उक्त शिक्षकों का मानदेय 25 हजार रुपए दिया जाना बताया है। साथ ही उनके कार्य की जानकारी 2012 से नहीं भेजी गई।
अब इसमें सवाल यह उठता है कि जब 13 साल से जानकारी नहीं भेजी गई, तो फिर यह शिक्षक अभी तक नौकरी कैसे करते रहे?
शिक्षकों को शुरुआत में 2500 रुपए और वर्तमान में 5 हजार रुपए मानदेय दिया जा रहा था। जबकि पत्र के अनुसार उन्हें 25 हजार मिल रहे थे। इस तरह 16 साल में प्रति शिक्षक 20 हजार की गड़बड़ी के हिसाब से 1 करोड़ 44 लाख 60 हजार रुपए मानदेय का जिम्मेदारों ने गोलमाल कर दिया। यह शिक्षा विभाग का घोटाला है।
181 लगाई, तो गई नौकरी, अब 2 शिक्षक बचे
शासकीय एकीकृत प्राथमिक/माध्यमिक विद्यालय का प्रभारी हटाया गया मोहर सिंह है, जबकि उसका साथी काशीराम भी इसी स्कूल।में पढ़ाता था। दोनों को हटाए जाने के बाद अब केवल 2 शिक्षक बचे, जबकि माध्यमिक में 3 अतिथि है। मोहर सिंह ने बताया कि हमें जब 4 माह से वेतन नहीं मिला, तो हमने 181 पर शिकायत कर दी, जिसके बाद हमें नौकरी से ही हटा दिया, और ना ही वेतन दिया गया।
संकुल प्राचार्य अरविंद यादव ने दो बार कॉल करने के बाद भी फोन नहीं उठाया। वहीं जिला शिक्षा अधिकारी विवेक श्रीवास्तव बोली कि आज रविवार होने की वजह से मैं कुछ बता नहीं सकता, कल पता करके बता पाऊंगा।

संकुल प्राचार्य का वो आदेश, जिससे शिक्षकों को हटाया गया, इसमें मानदेय 25 हजार रुपए लिखा है







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