
टाइगर से जागी टूरिज्म की आस: ताज के बाद ओबेरॉय व रेडिसन ग्रुप में जंगल में खरीदी जमीन
शिवपुरी शहर के होटल कारोबारियों में निराशा, टूरिस्ट आकर रुकते, तो चल सकता था होटल
शिवपुरी। माधव टाइगर रिजर्व शिवपुरी बनने के बाद अब टूरिज्म एरिया में होटल कारोबार करने वाली बड़ी फर्मों ने भी जमीन लेकर डाल दी। हालांकि टाइगर रिजर्व में टाइगरों की वृद्धि 2 शावकों के रूप में हुई, लेकिन मादा टाइगर के कथित शिकार ने नेशनल पार्क प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े कर दिए।
शिवपुरी के माधव टाइगर रिजर्व में वर्तमान में 6 टाइगर हैं। अब यह टाइगर जंगल घूमने जाने वाले सैलानियों को दिखने लगे हैं। शिवपुरी में टाइगर देखने देशी के साथ विदेशी सैलानी बड़ी संख्या में आते हैं। यही वजह है कि ताज होटल मुंबई ने छत्री परिसर में स्थित सिंधिया राजवंश के सदस्यों के ठहरने के लिए बनाई गई बॉम्बे कोठी को लेकर उसका जीर्णोद्धार कार्य शुरू के दिया। इसके अलावा हातौद ग्राम में ओबेरॉय ग्रुप ने तथा भड़ाबावड़ी के पास रेडिसन ग्रुप ने जमीन खरीद ली है।
शिवपुरी में फार्म स्टे और होम स्टे पहले से ही चल रहे हैं। टूरिज्म विभाग के देव सोनी ने बताया कि वर्तमान में 4 फार्म स्टे व होम स्टे रजिस्टर्ड हो गए हैं, तथा अभी कई लाइन में लगे हैं। यानि जब तक यह बड़े होटल बनेंगे, तब तक सैलानी इनमें रुक रहे हैं।
श्योपुर में जमीन लेकर पहले पछताए, अब आस
जब कूनो में फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से जब चीते लाकर कूनो के जंगल में छोड़े गए थे, उससे पहले ही वहां आसपास की जमीन महंगे दामों में खरीद कर होटल आदि की तैयारी कर ली थी। उसके बाद एकाएक चीतों की मौत का सिलसिला जब शुरू हुआ, तो जमीन खरीदने वाले चिंतित हो गए थे। इतना ही नहीं कुछ ने तो कम रेट में जमीन बेच दी थी। उसके बाद स्थिति बदली और चीतों में वंशवृद्धि हुई, तो जमीन वालो को फिर उम्मीद जाग गई है।
बोले होटल संचालक: निराशा तो है
जब जंगल में ही सैलानियों को होटल मिलेगा, तो फिर वो शहर के होटलों में क्यों आएंगे। टाइगर आने से सैलानियों के आने की उम्मीद थी, कि सैलानी रुकेंगे, लेकिन अब निराशा है।
संदीप भोंसले, होटल संचालक







