
मुख्यमंत्री की लाडली बहनें दे रहीं जान, सरकार के महिला सुरक्षा दावों की खुल रही पोल
वन स्टॉप सेंटर, निर्भया मोबाइल, महिला पुलिस थानों पर क्या नहीं हो रही सुनवाई?, देनी पड़ रही जान
शिवपुरी। महिला सुरक्षा, बेटी पढ़ेगी – आगे बढ़ेगी, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं, लाडली बहना, आदि यह वो स्लोगन हैं, जो सरकार की ओर से घोषित किए गए। महिलाओं की सुरक्षा के दावों के बीच शिवपुरी में कॉलेज स्टूडेंट्स से लेकर नवविवाहिता फांसी लगाकर अपनी जान दे रही हैं। बड़ा सवाल यह उठता है कि महिलाओं के कष्ट दूर करने के लिए खोले गए वन स्टॉप सेंटर, निर्भया मोबाइल, महिला थाना, में क्या सुनवाई नहीं हो रही। क्योंकि जान इंसान तभी देता है, जब वो सभी तरफ से निराश हो जाता है।
बीते शनिवार को जिले के नरवर में मुख्यमंत्री कार्यक्रम में 2 घंटा देरी से आए। इस दौरान टाइम पास करने के लिए मंच सहित पंडाल में लगी स्क्रीन पर सरकार की जितनी भी योजनाएं दिखाई जा रहीं थीं, उन सभी में महिलाओं को सशक्त बनाए जाने के दावे किए जा रहे थे। हालांकि इस दौरान गब्बर सिंह टैक्स (जीएसटी) में कमी होने पर केंद्र सरकार से जनता को मिली राहत के भी विज्ञापन चलते रहे। शनिवार को मुख्यमंत्री नरवर में आयोजित महिला सम्मेलन में शामिल होने आए थे। सीएम ने महिलाओं को सशक्त करने के सरकारी दावों का बखान किया। शनिवार की रात को ही शिवपुरी शहर के पुराने रेलवे स्टेशन के पास बबूल के पेड़ पर कॉलेज स्टूडेंट 21 वर्षीय सपना बघेल ने तथा सुरवाया में नवविवाहिता जूली आदिवासी ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। रविवार की सुबह जिले की दो महिलाएं जिंदगी से त्रस्त होकर दुनिया छोड़ चुकीं थी।
सवाल यही खड़ा होता है कि जान देने वाली कॉलेज छात्रा तो शिक्षित भी थी, बावजूद इसके वो अपनी जिंदगी में क्या इतनी अधिक परेशान हो चुकी थी कि, उसकी जब कहीं सुनवाई नहीं हुई, तो उसने दुनिया छोड़ने का कदम उठा लिया। उधर जूली की भी महज 10 माह की बेटी है, और उसकी शादी दो साल पहले ही हुई थी। क्या महिला सुरक्षा या उनके हर कदम पर साथ खड़े होने के सरकारी दावे सिर्फ हवा-हवाई हैं..??।