
टैंकर चोर ठेकेदार का पेश नहीं हुआ जमानत आवेदन, पार्षदों के इस्तीफे पर 3 को निर्णय
10 हजार के इनामी भ्रष्टाचार के आरोपी ठेकेदार की गिरफ्तारी ना होने पर उठ रहे पुलिस पर सवाल
शिवपुरी। शहर विकास के लिए आए करोड़ों के बजट को बिना काम करे ठिकाने लगाने वाले टैंकर चोर ठेकेदार का जमानत आवेदन आज सोमवार को पेश नहीं किया गया। उधर 18 पार्षदों द्वारा दिए गए इस्तीफे पर आगामी 3 सितंबर को कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी निर्णय करेंगे महत्वपूर्ण बात यह है कि 37 दिन से फरार आरोपी ठेकेदार को गिरफ्तार ना किए जाने से पुलिस का दोहरा चेहरा भी सामने आ गया है।
गौरतलब है कि बीते 26 जुलाई को नगरपालिका में हुए गिट्टी-मुरम घोटाले में ठेकेदार अर्पित शर्मा, सहायक यंत्री जितेंद्र परिहार, उपयंत्री सतीश निगम के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत गैर जमानती धाराओं में कोतवाली शिवपुरी में एफआईआर दर्ज हुई। प्रकरण दर्ज होने के तीन दिन बाद यानि 29 जुलाई को जांच अधिकारी कोलारस एसडीओपी संजय मिश्रा पुलिस बल।लेकर ठेकेदार के घर पहुंचे, और दरवाजे की कुंडी खटखटा कर वापस आ गए। सूत्रों की माने तो उस दौरान ठेकेदार घर की तीसरी मंजिल पर था, लेकिन पुलिस ने अंदर तक जाने की जहमत नहीं उठाई, तथा वीडियो बनाकर वापस लौट गई थी। उस दौरान ठेकेदार की मशीनरी भी घर के बाहर खड़ी थी, जिसे बाद में हटा दिया गया।
कहते हैं कि यदि पुलिस अपनी पर आ जाए तो किसी मंदिर से जूते तक चोरी नहीं हो सकते, लेकिन यहां तो ठेकेदार पिछले 37 दिन से पुलिस रिकॉर्ड में फरार बताया जा रहा है। इतने दिनों में पुलिस ने दोनों इंजीनियरों को बाहर से पकड़ लाई थी, लेकिन ठेकेदार पर जांच अधिकारी पूरी तरह मेहरबान हैं।
ठेकेदार की सेशन कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए शहर के वरिष्ठ वकील ने आवेदन लगाया था, लेकिन वो निरस्त हो गया था। अब ग्वालियर हाईकोर्ट में जमानत आवेदन और एफआईआर निरस्त कराने के लिए दो अलग वकील ठेकेदार की तरफ से किए गए हैं। जमानत के लिए पहले 25 अगस्त, फिर 28 अगस्त के बाद अब 1 सितंबर को आवेदन पेश होने की चर्चा थी, लेकिन आज कोई आवेदन पेश नहीं किया गया। हालांकि इस दौरान पूर्व में जो मजिस्ट्रेट सुनवाई के रहे थे, उन्होंने अज्ञात कारणों के चलते अपनी कोर्ट से दूसरी कोर्ट में मामला ट्रांसफर कर दिया था। चूंकि पिछले दिनों प्रशासन की जांच रिपोर्ट भी उजागर हो गई, जिसमें ठेकेदार के खिलाफ आपत्ति लगाने के लिए कई महत्वपूर्ण तथ्य मिल गए हैं। शायद यही वजह है कि ठेकेदार का वकील आवेदन लगाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा।
कलेक्टर के निर्णय पर भी नजर
पिछले दिनों कलेक्ट्रेट में जाकर 18 पार्षदों द्वारा इस्तीफा दिया गया था। उस इस्तीफे पर आगामी 3 सितंबर को कलेक्टर निर्णय करेंगे। उसमें पार्षदों को राहत मिलने की उम्मीद अधिक है। वहीं नपाध्यक्ष को लेकर भी भोपाल से कभी भी कोई फरमान आ सकता है।
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