
नपा में 39 वार्ड, 18 पार्षद ने दिया इस्तीफा, 9 अध्यक्ष के पास, बाकी 12 दे रहे दोनों दियों में तेल
भाजपा की नपाध्यक्ष को हटाने सर्वदलीय पार्षदों के निकलने पर शहर ने किया स्वागत, वरिष्ठ नेताओं को नहीं दिख रहा क्या..?
शिवपुरी। 39 वार्डों से बने शिवपुरी शहर में 2.75 लाख की आबादी निवास करती है, जिसको मूलभूत सुविधाएं देने की जिम्मेदारी संभालने वाली नगरपालिका में पिछले दो माह से मैच चल रहा है। नपा के 39 पार्षदों में से 18 ने नपाध्यक्ष को हटाए जाने के लिए गुरुवार को इस्तीफा दे दिया। बताते हैं कि 9 पार्षद लेकर नपाध्यक्ष रफूचक्कर हो गईं थीं, जो अविश्वास प्रस्ताव वापस लेने के बाद शहर में वापस लौट आईं। शेष बचे 12 पार्षद ना तो इस्तीफा देने गए, और ना वो अध्यक्ष के साथ खड़े हो रहे। यानि वो समय का इंतजार कर रहे हैं, कि जिसका पलड़ा भारी होगा, हम उसके साथ चले जायेंगे। महत्वपूर्ण बात यह है कि नपाध्यक्ष को हटाने के लिए जब पार्षद इस्तीफा देने बाजार से निकले तो शहरवासियों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया, तो सवाल यह है कि जिस अध्यक्ष के विरोध में शहर खड़ा हो गया, वो विरोध क्या भाजपा के वरिष्ठ नेता को नहीं दिख रहा।
गौरतलब है कि नगरपालिका अध्यक्ष को हटाने के लिए एकजुट हुए पार्षदों और नपाध्यक्ष की पेशी प्रभारी मंत्री के सामने 15 अगस्त को।हुई थी, तब मंत्री ने दोनों से कहा था कि अपने पक्ष के पार्षदों की हस्ताक्षरयुक्त सूची 24 घंटे में पेश करने के लिए कहा था। पार्षदों ने तो मेहनत करके 32 पार्षदों की सूची तैयार करके भाजपा जिलाध्यक्ष के माध्यम से प्रभारी मंत्री तक पहुंचा दी थी। लेकिन नपाध्यक्ष सूची देने की बजाए लगभग 9 पार्षद (जिसमें 2 दूसरी सूची में हस्ताक्षर करने वाले भी थे) लेकर गायब हो गईं थी।
इसके बाद जब इस्तीफे का समय आया तो 31 में से 18 ही अध्यक्ष को हटाने के लिए तैयार हुए, लेकिन पूर्व में हस्ताक्षर करने वाले 12 पार्षद इस दौरान कहीं नजर नहीं आए। जब गुरुवार को शहर की जनता द्वारा पार्षदों को माला पहनाई गई, तो क्या इन पार्षदों को एक बार भी ऐसा नहीं लगा, कि जिसका विरोध पूरा शहर कर रहा है, वो उस अभियान के साथ क्यों नहीं जुड़ पाए। अब क्या यह पार्षद अपने वार्ड की जनता के सामने सिर उठाकर जा सकेंगे, या फिर उनका नाम स्वार्थी लोगों की सूची में जोड़े जाने से वो खुश होंगे।
इस पूरे घटनाक्रम का एक और पहलू यह भी है कि पहले नपाध्यक्ष को हटाने की जिद पार्षदों की थी, लेकिन बाद में पूरा शहर ही अध्यक्ष को हटाने की मुहिम में जुट गया। जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण गुरुवार को शहर के बाजार में हुआ माल्यार्पण था। इतना सब होने के बाद भी क्या भाजपा के वरिष्ठ नेता यह।नहीं समझ पा रहे कि जो निर्णय पूरा शहर चाहता है, उस पर वो अपना बीटों क्यों लगाए।हुए।हैं।
इस्तीफा देने जा रहे पार्षदों को माला पहनाते शहरवासी
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