September 30, 2025
राजनीति में सब जायज: नपा में सामने आ रहे जोकर, चल रहा सर्कस, दर्शक बने शहरवासी

राजनीति में सब जायज: नपा में सामने आ रहे जोकर, चल रहा सर्कस, दर्शक बने शहरवासी
ऐसा निकाला बीच का रास्ता कि सांप भी मर जाए- लाठी भी न टूटे, इंसान और भगवान से छलावा

शिवपुरी। नगरपालिका शिवपुरी एक सर्कस बनता जा रहा है, जिसमें हर दिन कोई नया जोकर सामने आ रहा है। रिंग मास्टर दूर से हंटर चला रहा है, जिसके चलते वो सब भी हो रहा है, जिसे देखकर लगता है कि राजनीति में सब जायज है। अब एक ऐसा बीच का रास्ता निकाला गया, जिसमें सांप भी मर जाए, और पार्टी की लाठी भी बची रहे। लेकिन इस पूरे नाटकीय घटनाक्रम में शहर की जनता के साथ भगवान भी देख रहे हैं कि कुछ इंसान कितने बड़े नौटंकीबाज है।
प्रशासन की जांच, से आएगी आंच
नगरपालिका शिवपुरी में अध्यक्ष वर्सेस पार्षद मैच में अभी तक बहुत कुछ घट चुका है, और इस दौरान कई लोगों के चेहरे भी उजागर हो गए। नेताओं और पार्षदों के बीच हुई मैराथन बैठकों के बीच रात और दिन में फैसले बदलते रहे, और पार्षदों के संगठन में ही फूट हो जाने से कल तक जो गलबहियां डालकर घूम रहे थे, वो अब एक-दूसरे को।फूटी आंख नहीं सुहा रहे। पिछले लगभग दो माह से चल रहे इस एपीसोड जब सोमवार से प्रशासन की एंट्री हुई, तो लेटरहेड पर डॉट से लिखा अविश्वास प्रस्ताव वापसी का आवेदन मान्य हो गया, तथा वेरीफिकेशन का कागज रद्दी में जा गिरा। हालांकि बुधवार को एक और टाइप किया हुआ वापसी आवेदन भी सामने आया, जिसमें भी कुछ पार्षदों के हस्ताक्षर मौजूद है।
अविश्वास में विश्वास खो चुके पार्षदों के बीच अब इस्तीफा देने की घोषणा का दौर चल रहा है,और हे कोई खुद को पाक साफ बताने की जद्दोजहद शुरू हो गई। अब चूंकि इसने प्रशासन और शासन मिलकर खेल में आ गए, तो अगले स्टेप में प्रशासन की वो जांच बहुत काम आएगी, जिसमें नपा का भ्रष्टाचार प्रमाणित होने के बाद एफआईआर हुई। यह अलग बात है कि नपा में भ्रष्टाचार करके करोड़ों कमाने वाले मुख्य आरोपी ठेकेदार अर्पित शर्मा पर 10 हजार का इनाम घोषित होने के बाद भी पुलिस के रहमो-करम के चलते वो गिरफ्तारी से दूर बना हुआ है।
पार्टी के नेताओं के विरोध से पार्टी की अध्यक्ष को अविश्वास से हटाने में पार्टी नेताओं का कमजोर होल्ड नजर आता, और एक साथ कई जगह के अध्यक्ष हटाए जाते। भ्रष्टाचार के प्रमाणित मामलों के बीच अन्य कोई मामला उजागर करके अध्यक्ष से कुर्सी छीनना आसान होगा। इधर पार्षद अपना इस्तीफा देकर बगीचा की कसम पूरी करेंगे, और उधर इस्तीफे अस्वीकार करके उन्हें खेल के मैदान में आगे खेलने के लिए रखा जाएगा।
नगरपालिका की चल रही इस नौटंकी में गांधी जी का जोर भी नजर आया, और कुछ पार्षदों ने अपना वार्ड या शहर देखने की बजाए गड्डी की मोटाई देखी। चूंकि नगरपालिका में अंधाधुंध भ्रष्टाचार करके 653 करोड़ का बजट ठिकाने लगाकर अपनी गुल्लक भरी थी, जिसमें से बांटने में जो खर्च हुआ, वो अब वापस नहीं आएगा, क्योंकि पार्षदों पर 3 साल पहले अध्यक्ष पद के लिए दी गई टोकन मनी भी जमा है।

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