
यही हाल रहा तो शिवपुरी के लोगों से यह जानने आएंगे टूरिस्ट: कैसे रहते हैं मगरमच्छ, चीतों, टाइगर और तेंदुओं के बीच?
शिवपुरी। शिवपुरी जिले के लोग खतरनाक वन्यजीवों के बीच अपना जीवन गुजार रहे हैं। यदि ऐसे ही हाल रहे तो बाहर से आने वाले टूरिस्ट वन्यजीव देखने की बजाए यहां के लोगों को देखने आएंगे, कि आखिर यह लोग कैसे खतरनाक मगरमच्छों, चीतों, टाइगर और तेंदुओं के बीच जिंदा हैं। वहीं दूसरी ओर शिवपुरी की जनता भी ऐसे खतरनाक माहौल में रहना सीख जाएगी।
गौरतलब है कि शिवपुरी की आवोहवा इंसानों के लिए भले ही मुफीद न हो, लेकिन जीव जंतु इसमें तेजी से अपनी वृद्धि करते हैं। इसके प्रत्यक्ष उदाहरण भी हैं कि क्रोकोडाइल बैंक मद्रास से 5 मगरमच्छ लाकर चाँदपाठा में छोड़े गए थे, जो अब 5 हजार से अधिक हो गए। शिवपुरी का जंगल टाइगरों के लिए ही था, और आजादी से पहले अंग्रेज शिवपुरी में टाइगर का शिकार करने आते थे। इसका प्रमाण भूरा खो पर लगा वो पत्थर है, जिस पर एक टाइगर के शिकार की जानकारी लिखी है। ऐसे में जबकि टाइगर खुले जंगल में बसा दिए गए हैं, तो इनकी वंशवृद्धि भी मगरमच्छों की तरह तेजी से होना तय है। अभी तो टाइगर नेशनल पार्क के जंगल के आसपास सड़क किनारे नजर आ रहे हैं, लेकिन जब इनकी संख्या बढ़ेगी तो फिर यह कॉलोनियों में हाय-हेलो करते नजर आएंगे।
शिवपुरी में तेंदुए तो ऐसे हो गए, जैसे पालतू मवेशी हों। यह शहरी इलाकों में अक्सर देखे जा रहे हैं, और पिछले दिनों नेशनल पार्क प्रबंधन ने तेंदुओं से सुरक्षा के लिए पर्चे भी चिपकाए थे। चूंकि नेशनल पार्क के जंगल में टाइगरों का कब्जा हो गया, तो आधा सैकड़ा से अधिक तेंदुए रिहायशी इलाकों में भटक रहे हैं। शिवपुरी शहर में मगरमच्छों का कालोनियों में घूमना अब कोई नई बात नहीं है, क्योंकि शहर की जनता ने इनके साथ रहना सीख लिया है।
वीआईपी चीते बने ग्रामीणों के लिए सिरदर्द
नामीबिया और अफ्रीका के जंगलों से हवाई यात्रा करके हमारे देश में आने के बाद वीआईपी की तरह श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए थे। लंबे समय तक प्रतिबंध में रहने के बाद जब इन चीतों को छोड़ा गया तो वो सीमा को पार करके शिवपुरी में डेरा डालने आ गए। जिसके चलते ग्रामीण दृष्टदा हैं। क्योंकि खेतों में चीते मस्ती कर रहे हैं और खेत मालिक को फॉरेस्ट की टीम उनके ही खेत में जाने से रोक रही है। मासूम बच्चों के चेहरों पर खौफ है तो महिलाएं इन चीतों से परेशान होकर रो रही हैं।



