
बेमौत मर रहे तेंदुए, बडौदे के पास हाइवे किनारे मिला मृत तेंदुआ
किसी अज्ञात वाहन की टक्कर से मरा तेंदुआ, वन विभाग ने पीएम के लिए भिजवाया
शिवपुरी। माधव टाइगर रिजर्व में टाइगरों की संख्या बढ़ने के साथ ही उसमें मौजूद तेंदुए इधर-उधर भागकर सड़क हादसों का शिकार हो रहे हैं। ऐसा ही एक तेंदुआ शुक्रवार को बडौदे के पास हाइवे किनारे मृत मिला। सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम ने मौके पर जाकर मृत तेंदुए को पीएम के लिए भिजवाया।
गौरतलब है कि शिवपुरी के माधव टाइगर रिजर्व में अब टाइगरों की संख्या 7 हो गई है। एक टाइगर को अपनी टेरेटरी बनाने के लिए 50 से 80 वर्ग किमी का एरिया चाहिए होता है। चूंकि माधव टाइगर रिजर्व का जंगल एरिया 375 वर्ग किमी है, जो 7 टाइगरों ने घेर लिया है। टाइगरों की टेरेटरी बन जाने की वजह से उस एरिया में रहने वाले तेंदुए अब जंगल छोड़कर रिहायशी इलाकों के अलावा हाइवे पर दौड़ लगा रहे हैं।
ऐसे में यह तेंदुए या तो जंगल के आसपास की रिहायशी कॉलोनियों में घूम रहे हैं, या फिर हाइवे पर शिकार तलाश रहे हैं। ऐसा ही एक नर तेंदुआ बीती रात बड़ौदी के पास हाइवे पर किसी अज्ञात वाहन की चपेट में आ गया। जिससे उसकी मौत हो गई। हालांकि तेंदुए के शरीर में कहीं अन्य जगह कोई चोट नहीं है, लेकिन उसके सिर में कोई जोरदार धमक लगी है, जिससे उसकी मौत हो गई। तेंदुओं को जंगल में अब आशियाना छिन जाने से वो इस तरह भागते फिर रहे हैं, और हादसों का शिकार हो रहे हैं।
छोटे जानवरों का करते हैं शिकार
तेंदुए अपने से बड़े जानवरों का शिकार नहीं कर पाते हैं। यही वजह है कि वो नेशनल पार्क में बहुतायत में मौजूद नीलगाय और हिरणों का शिकार करने की बजाए रिहायशी इलाकों में पालतू मवेशी जैसे बकरी, कुत्ते, बिल्ली या गाय-भेंस के बछड़े पकड़ते हैं। चूंकि पहले जंगल से निकलकर वो रिहायशी इलाकों से शिकार करके वापस जंगल में चले जाते थे, लेकिन अब उनका जंगल से निकाला हो गया, इसलिए वो इस तरह के हादसों का शिकार बन रहे हैं।
हाइवे किनारे मृत मिले तेंदुए को ले जाते वन कर्मचारी
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