
चार स्तंभों पर नपाध्यक्ष की कुर्सी: शहर विकास कोसों दूर, जनता देख रही एपीसोड केंद्रीय मंत्री, कैबिनेट मंत्री, जिलाध्यक्ष और हर दिन उजागर हो रहे मामलों में मीडिया की भूमिका
शिवपुरी। बिना कोई विकास कार्य के शिवपुरी नगरपालिका की टीआरपी इन दिनों नंबर वन पर है। करेरा बाबा के बड़ीचा के बाद जब नपाध्यक्ष की कुर्सी पर काले बादल मंडराए तो विरोध करने वाले पार्षदों की बैठकें शुरू हुई। केंद्रीय मंत्री से लेकर केबिनेट मंत्री, भाजपा जिलाध्यक्ष के अलावा हर दिन मिल रहे मसाले को प्रस्तुत कर रही मीडिया भी लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की भूमिका नपाध्यक्ष की कुर्सी वाले एपीसोड में निभा रही है। एक साल पुरानी ऑडियो जब इस खेल में सामने आईं, तो वो नेता भी तरोताजा हो गए, जो क्षेत्र ही छोड़ गए। महत्वपूर्ण बात यह है कि नगरपालिका की इस खींचतान में शहर की जनता नेताओं के चाल और चरित्र देख रही है, और विकास कार्य कोसों दूर तक नजर नहीं आ रहे।
शिवपुरी नगरपालिका में जो कुछ को चोरी छुपे चल रहा था, वो पार्षदों के विरोध करने के बाद उजागर होना शुरू हुआ, तो कई राज उजागर हो गए। शहर विकास के लिए आने वाले भारी भरकम बजट को जनप्रतिनिधि और ठेकेदार के संयुक्त गठबंधन की परतें भी खुल गई। शासन ने जो राशि शहरवासियों को सुविधाएं देने के लिए नगरपालिका को दी, उसका बंदरबांट चंद लोगों। ने आपस में करके शहर को बदहाली के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया। इन तीन सालों में नगरपालिका में 3 सीएमओ बदल गए, और वर्तमान तो इसी शहर में पले बढे हैं, फिर भी हालात नहीं बदले।
अभी तक चले नगरपालिका एपीसोड में भगवान को भी नहीं छोड़ा, और उन्हें भी भला बुरा कह दिया। केंद्रीय मंत्री के सामने भी पेशी हुई, लेकिन कोई नुकसान नहीं हुआ तो वो इतने खुश हुए कि रास्ते में ही हाथापाई कर दी। फिर शुरू हुआ ज्ञापन का दौर, और फिर शुरू हुआ ऑडियो रिलीज का दौर। जिसमें यह भी सामने आया कि चोरी-चकारी में यह सफेदपोश इस हद तक गिर गए कि पेड़ कटवाकर उसे बेचने का पैसा भी नहीं छोड़ा।
नेताओं के हथियार हुए फेल
भाजपा जिलाध्यक्ष दो बार पार्षदों की बैठक ले चुके, जिसमें कलेक्टर को भी शामिल किया गया। केंद्रीय मंत्री ने भी पार्षदों का दर्द सुना, और रही सही कसर पूरी करने गुरुवार की रात 10.30 बजे तक प्रभारी मंत्री ने कलेक्ट्रेट में पार्षदों की बैठक ली। मैराथन बैठक के बाद भी जब कोई निर्णय नहीं हुआ, तो देर रात प्रभारी मंत्री, जिलाध्यक्ष और नपाध्यक्ष बाहर खड़े होकर मंत्रणा करते नजर आए।
एक हटी तो कई जिलों में हटेंगे
नेताओं की मजबूरी है कि कुर्सी को भरा रखें। क्योंकि शिवपुरी की कुर्सी खाली हुई तो फिर दूसरे जिलों में भी नपाध्यक्ष की कुर्सियां खाली हो जाएंगी। गुना में भी ऐसे ही हालात है, और दतिया में भी जमकर विरोध चल रहा है। यदि ऐसा हुआ तो वरिष्ठ नेताओं की छवि भी बिगड़ेगी, कि हालातों पर आप नियंत्रण क्यों नहीं कर पाए। उधर जिलाध्यक्ष से भी संगठन सवाल करेगा। इसलिए सभी इस संघर्ष को सुलझाने में दिन-रात एक कर रहे हैं।
अब तो जनता भी पूछ रही, आज क्या ?
नगरपालिका एपीसोड में हर दिन कुछ नया होने की वजह से शिवपुरी शहर की जनता भी दिलचस्पी लेने लगी, और यह पूछ रहे हैं लोग कि आज क्या..?
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