
जब पकड़ी गई चोरी तो मंडी सचिव को छोड़ दो अस्थाई कर्मचारी निपटाए, अब खुद निपटे
बरसों से अध्यक्ष का चुनाव न होने से अधिकारी काट रहे चांदी, कुछ मगरमच्छ बचे
शिवपुरी। कृषि उपज मंडी शिवपुरी में नाकेदार से लेकर।सचिव के पद तक पहुंचे विश्वनाथ जाटव, को यह अच्छी तरह से पता था कि किस गलियारे से कैसे माल आता है। बस फिर क्या था, सभी तरफ से कुछ इस तरह कमाई में जुटे कि सरकारी एप में भी फर्जीवाड़ा कर बैठे। मामला उजागर होने के बाद प्रारंभिक जांच में जिन छोटे कर्मचारियों के नाम और मोबाइल नंबर का दुरुपयोग किया, उन्हें ही बलि चढ़ाकर सचिव ने खुद को बचाने का प्रयास किया। लेकिन बकरे की अम्मा कब तक खेर मनाती, तो गुरुवार को मंडी सचिव भी निलंबित कर दिए गए।
प्रदेश भर में कृषि मंडियों में अध्यक्ष का चुनाव न होने से भारसाधक अधिकारी और मंडी सचिव ही इसका संचालन कर रहे हैं। ऐसे में यदि मंडी सचिव के पद पर ऐसा कर्मचारी बन जाए, जिसने नाकों पर वसूली की हो, तो फिर उसे सब पता रहता है कि हमारा स्टाफ किस गलियारे से कितना माल खींच रहा है। बस फिर क्या था, सचिव बने विश्वनाथ ने सभी सीढ़ियों का प्रसाद उठाना शुरू कर दिया। इस खाओ-कमाओ नीति में वो यह भूल बैठे कि शासन ने जो एप बनाया है, उसमें फर्जीवाड़ा नहीं करना है। मंडी के अस्थाई कर्मचारियों को किसान बताकर सचिव ने उसमें भी घोटाला कर दिया। जब यह मामला उजागर हुआ तो मंडी सचिव की हवाइयां उड़ गईं।
आनन-फानन में जांच कर मंडी सचिव विश्वनाथ ने उन कर्मचारियों को हटाने के आदेश जारी कर दिए, जिनके नाम पर फर्जीवाड़ा किया गया। जबकि इन कर्मचारियों को पता ही नहीं था कि बसंत कहां बंध रहे हैं। ऐसा करके उन्होंने अपनी गर्दन को बचाने का पुरजोर (गांधी जी के सहारे) प्रयास किया। लेकिन आज गर्दन शिकंजे में फंस गई, और जांच में दोषी पाए जाने पर सचिव को निलंबित कर दिया गया। हालांकि अभी मंडी में और भी मगरमच्छ रह गए हैं, जो उसे नुकसान पहुंचा रहे हैं।

