
खुलेआम महिला वोटरों की बोली लगा रहीं पार्टियां, चुनाव आयोग ने बंद किए आंख और कान
मध्यप्रदेश के बाद महाराष्ट्र और अब दिल्ली में महिला वोटरों को खरीद रहे सभी दल
सेमुअल की कलम से…
कहने को तो देश में लोकतंत्र है, लेकिन इसमें पुरुषों से अधिक महिलाओं का दबदबा है। इस बात को हमारे देश की सभी राजनीतिक पार्टियां भी माना चुकी है, इसलिए तो अब हर चुनाव में महिला वोट का रेट तय किया जा रहा है। मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के बाद अब दिल्ली में भी महिला वोटरों की खरीदी शुरू हो गई। महत्वपूर्ण बात यह है कि हर महीने महिलाओं को पैसा देने की घोषणा करके पार्टियां खुलेआम वोट खरीद रही हैं, और हमारे देश का चुनाव आयोग गांधी जी का बंदर बना बैठा है।
ज्ञात रहे कि मध्यप्रदेश में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा की सरकार बनने के कोई चांस नहीं थे, और कांग्रेसी नेता चुनाव परिणाम आने से पहले ही खुद को सरकार का मंत्री-विधायक मानने लगे थे। लेकिन जब परिणाम आए तो कांग्रेस का सुपड़ा साफ था, और शिवराज मामा की लाडली बहना चुनाव की पूरी तस्वीर बदल चुकी थीं। मध्यप्रदेश में महिला वोटरों को खरीदने के बाद महाराष्ट्र में भी इसी तर्ज पर काम किया तो फिर अभी एग्जिट पोल फैल हो गए, और भाजपा की सरकार बन गई।
अब चुनाव देश की राजधानी दिल्ली में हैं, और यहां पर आम आदमी पार्टी ने तीन बार तो अपने काम के बलबूते पर अपनी सरकार बना ली, लेकिन इस बार उसने भी महिलाओं को हर महीने 2100 रुपए देने की घोषणा करके रजिस्ट्रेशन भी शुरू कर दिया। भाजपा तो पहले ही महिला वोटरों का रेट तय कर चुकी थी, तो फिर कांग्रेस पीछे कैसे रहती?। कांग्रेस ने दिल्ली की महिला वोटरों के लिए प्यारी दीदी योजना की घोषणा करते हुए 2500 रुपए महीना देने की घोषणा कर दी। अफसोस कि देश में महिला वोटरों को खुलेआम खरीदा जा रहा है, और चुनाव आयोग खामोश है, तथा देश का।लोकतंत्र मजबूत हो रहा है।
पुरुषों को कहीं का नहीं छोड़ा
देश की सरकारें महिलाओं के वोट खरीदकर हर महीने एक मुश्त राशि उनके खाते में डाल रही है, और उनके पतिदेव से हर चीज में टेक्स वसूल कर जेब काट रही है। हर चुनाव में महिला वोटरों को खरीदे जाने से पुरुष वोटरों में इस बात को लेकर हीन भावना बढ़ती जा रही है, कि क्या हमारा वोट चुनाव हराने और जिताने में कोई मायने नहीं रखता…?।
