
स्वास्थ्य विभाग में चल रहा ट्रांसफर उद्योग, मार्च में सीएमएचओ रिन्युवल में फिर लगेगा माल
शिवपुरी। गणतंत्र दिवस का मुख्य आयोजन रविवार को शहर के पोलोग्राउंड पर हुआ, जिसमें मुख्य अतिथि प्रदेश के ऊर्जा मंत्री व जिले के प्रभारी मंत्री के हाथ थक गए। क्योंकि केवल स्वास्थ्य विभाग के ही 119 कर्मचारियों को प्रमाण पत्र दिए गए, जबकि अन्य विभाग अलग हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि आज जिस एएनएम संध्या को अच्छे कार्य के लिए सम्मानित किया गया, उसे 7 दिन पहले ही करैरा से पोहरी के बूढ़ादा गांव में ट्रांसफर कर दिया गया।
जिले के स्वास्थ्य विभाग में पिछले कुछ समय से ट्रांसफर उद्योग चरम पर चल रहा है। चूंकि शासकीय कर्मचारी अपनी सुविधा वाली जगह पदस्थ रहना चाहता है, और यदि उसे डिस्टर्ब करते हैं तो फिर वो फीस (वसूली) देने को तैयार हो जाता है। स्वास्थ्य विभाग में इसे पदों पर कुछ लोग डटे हुए हैं, जो विभागीय तौर पर उस पद की योग्यता ही नहीं रखते। फिर चाहे जिले के मुखिया का पद हो या फिर किसी नेत्र सहायक को जिला।मुख्यालय पर अटैच करके उसके हाथ में स्वास्थ्य विभाग की कमान थमाने का मामला हो। स्वास्थ्य विभाग में पिछले एक माह में हुए ट्रांसफरों की ही यदि सूची निकाली जाए, तो वो आंकड़ा भी बहुत बड़ा है।
घोटाले में फंसे लोगों के हाथ में कमान
जिले के स्वास्थ्य विभाग में खरीदी और सपलाई में करोड़ों का घोटाला उस समय उजागर हुआ था, जब जिला पंचायत में स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष योगेंद्र रघुवंशी (बंटी) थे। बंटी ने जब मामला उजागर किया था तो झाड़ू और थाली चम्मच से लेकर दवाओं की एक ही फर्म थी। चूंकि घोटाला करोड़ों का था, इसलिए जांचकर्ताओं की जेब भरने के बाद उसे अभी भी लंबित ही रखा है, और खरीदी उसी फर्म से कर रहे हैं। इस घोटाले में नवल सिंह चौहान का नाम था, जिनके हाथ में फिर स्वास्थ्य विभाग की कमान है।
स्वास्थ्य सेबाएं छोड़ वसूली में जुटे
जिले में स्वास्थ्य सेवाएं वेंटीलेटर पर हैं, इसीलिए झोलाछाप डॉक्टरों के पास गरीब लोग मजबूरी में इलाज कराने जा रहे हैं। यह झोलाछाप जहां एक तरफ इंसानी जिंदगियों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, वहीं स्वास्थ्य विभाग के कर्ताधर्ता ट्रांसफर उद्योग चलाकर सिर्फ वसूली में लगे हैं।
