
मंत्री समझ गए थे प्रशासन की नौटंकी, जिला बना चारागाह, लगा रहे सिर्फ बजट ठिकाने
स्थानीय विधायक पानी की समस्या बताकर बनवा रहे अपना वीडियो, वहां लगा रहे पौधे
शिवपुरी। पिछले दिनों शिवपुरी के पोहरी विधानसभा के गांव में जल गंगा संवर्धन कार्यक्रम में शामिल होने आए प्रदेश के ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल भी समझ गए थे कि अधिकारी अभियान के नाम पर सिर्फ नौटंकी कर रहे हैं।।जिस क्षेत्र में गर्मी शुरू होते ही पीने के पानी का संकट इतना गंभीर हो गया कि स्थानीय विधायक को समस्या से कलेक्टर को अवगत कराने के लिए अपना वीडियो बनवाना पड़ा। वहां पर जनपद सीईओ ने पौधे लगाने को गड्ढे खुदवा दिए। बस फिर क्या था सीईओ साहब को लालटेन टांग दी, और सस्पेंड कर दिए गए। जिले में अधिकारियों को बजट ठिकाने लगाने की इतनी जल्दी है कि वो पौधारोपण की गाइड लाइन ही भूल गए।
गौरतलब है कि जिले में हो रहे अंधाधुंध ट्यूबवेल खनन होने तथा तालाबों पर कब्जे करके उनमें खेती होने की वजह से जिले का वाटर लेबल रसातल में पहुंच गया है। पोहरी विधानसभा में गर्मियां शुरू होते ही पीने के पानी का संकट गहरा जाता है। अभी दो दिन पहले ही पोहरी के कांग्रेस विधायक कैलाश कुशवाह ने अपना वीडियो बनवाकर वायरल करवाया, जिसमें वो यह बता रहे हैं कि मेरे क्षेत्र में पीने का पानी नहीं मिलने से लोग परेशान हो रहे हैं, और बहुत दूर से पानी भरकर ला रहे हैं। यह बात उन्होंने कलेक्टर से करना बताया था। मंत्री के।कार्यक्रम में विधायक भी शामिल।थे, और उनकी विधानसभा में कार्यक्रम की रूपरेखा बनी, लेकिन उन्होंने भी आपत्ति दर्ज नहीं कराई।
इधर विधायक पीने का पानी मांग रहे थे, उधर कैबिनेट मंत्री प्रहलाद पटेल के जल संरक्षण के कार्यक्रम में प्रभारी जनपद सीईओ गिर्राज शर्मा (शिवपुरी जनपद सीईओ) ने पौधरोपण के लिए गड्ढे खुदवाकर पौधे भी मंगवा लिए थे। मंत्री ने जब यह देखा तो उन्हें समझते देर नहीं लगी कि यहां अधिकारी नौटंकी करके सिर्फ बजट ठिकाने लगा रहे हैं। वैसे भी जूम माह के अंत में पौधे लगाए जाते हैं, ताकि उन दिनों में शुरू होने वाले बारिश के मौसम में पौधा जल्दी बढ़कर पेड़ बन सके।
अधिकारियों के लिए चारागाह शिवपुरी
मध्यप्रदेश का शिवपुरी वो जिला है, जहां पर एक दर्जन ऐसे घोटाले हुए, जिसमें अधिकारियों ने करोड़ों रुपए का बंदरबांट किया। जनता पिसती रही और अधिकारी इस जिले को चारागाह की तरह चर रहे हैं। यहां कोई राजनीतिक प्रेशर नहीं है। एकमात्र नेता को साधना होता है, तो बस उनके।कार्यक्रम रौनकदार करने के बाद फिर से जिले को चरने में जुट जाते हैं।
