
एसडीएम ने अपने प्रतिवेदन में नगरपालिका की भूमिका भी बताई संदिग्ध
शहर का मोड़ा उलझ गया सहपाठियों के त्रिकोण में, निशाने पर कॉलोनाइजर
शिवपुरी। शहर के ग्वालियर नाके के पास करोड़ों की जमीन के मामले में 3 दिन पहले एक आदेश सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। जिसमें नगरपालिका के जिम्मेदारों ने एनओसी को फर्जी बताकर पल्ला झाड़ लिया था। जबकि एसडीएम ने अपने प्रतिवेदन में नपा की भूमिका भी संदिग्ध बताई है। महत्वपूर्ण बात यह है कि शहर का मोड़ा अपने सहपाठियों के त्रिकोण में फंस गया, और अब इस गठबंधन के निशाने पर कॉलोनाइजर हैं।
गौरतलब है कि ग्वालियर नाके के पास सोन चिरैया और कत्था मिल के बीच शासकीय भूमि सर्वे नंबर 4 एवं निजी भूमि सर्वे नंबर 5 का सौदा दलाल राजेश पुत्र जगदीश कुशवाह और रामनिवास रावत के माध्यम से हुआ था। जिसमें जमीन विक्रेता सीताराम गौड, विजय गौड, कन्हैया गौड, रवि विश्वकर्मा, धन्नो गौड, आनंदी गौड एवं महादेवी विश्वकर्मा ने उक्त जमीन की रजिस्ट्री सुशीला पत्नी बद्रीप्रसाद धाकड़ एवं मंजू पत्नी सतीश अग्रवाल के पक्ष में रजिस्ट्री करवाई थी।
करोड़ों कीमत वाली जमीन को खरीदने से पहले जब क्रेता ने दस्तावेज देखे तो उसमें विक्रेता ने नगरपालिका शिवपुरी की एनओसी भी लगाई थी। उन दस्तावेजों को सही मानकर क्रेता ने विक्रेता को जमीन की कीमत चुकाकर रजिस्ट्री अपने पक्ष में करवा ली थी।
इस मामले में 3 दिन पहले एक आदेश वायरल हुआ, जिसमें एसडीएम ने नपा सीएमओ को एफआईआर कराने की बात लिखी थी। जबकि इस मामले में नगरपालिका शिवपुरी से फर्जी एनओसी बनना बताया है, लेकिन नपा के ऑफिस से दस्तावेज गायब हैं। इस मामले में अभी तक कोई एफआईआर नहीं हुई।
कोतवाली टीआई कृपाल सिंह का कहना है कि मामला दर्ज करवाने के लिए एक पटवारी आए थे, लेकिन कुछ कमियां थीं, जिसे पूरा करवाना है। उधर एसडीएम शिवपुरी उमेश कौरव का कहना है कि हमने पटवारी को मामला दर्ज कराने भेजा तो टीआई ने बताया कि अभी हम पुलिस अधीक्षक से पूछकर प्रकरण दर्ज करेंगे। एसडीएम ने कहा कि इस मामले में नपा की भूमिका भी संदिग्ध है, जिसका हमने अपने प्रतिवेदन में जिक्र किया है।
शहर का मोड़ा सहपाठियों के चंगुल में
पिछले कुछ समय से एक ट्रेगुलर शहर में सक्रिय है, जिसमें इसी शहर में पढ़ने वाला अधिकारी भी मिल गया। इस त्रिकोण में शहर के एक जमीन कारोबारी व भाजपा नेता का बेटा, एक आर्किटेक्ट और एक दूसरे भाजपा के नेता का बेटा शामिल हैं। इस त्रिकोण ने अपने सहपाठी अधिकारी के साथ मिलकर कॉलोनाइजरों से वसूली शुरू कर दी है। लगता है शहर से भी माला पहनकर ही मानेगा…!।
