September 30, 2025
img-20250525-wa00208343512036867489101.jpg

प्राचीनता और आधुनिकता का अद्भुत समन्वय थीं देवी अहिल्याबाई होलकर : अमित भार्गव

पुण्यश्लोक मातोश्री अहिल्याबाई होलकर ने अपने खासगी खजाने (निजी कोष) को ऐश्वर्य और सुख सुविधाओं के विस्तार में नहीं, बल्कि लोकहितकारी कार्यों में लगाया : प्रोफेसर दिग्विजय सिंह सिकरवार

शिवपुरी। पुण्यश्लोक मातोश्री अहिल्याबाई होलकर के त्रिशताब्दी जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में पीजी कॉलेज शिवपुरी में व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित किया गया। जन कल्याण के क्षेत्र में रानी अहिल्याबाई होलकर ने अनेक लोकहितकारी कार्य किए. वे अपनी प्रजा को पुत्रवत मानती थीं. अपने शासनकाल में उन्होंने किसानों का लगान कम किया, कृषि, उद्योग धंधों का विकास किया. अहिल्याबाई का हृदय समाज के सभी वर्गों के लिए धड़कता था। उक्त विचार पूर्व विधायक एवं जिलाध्यक्ष जसमंत जाटव ने प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस शास. पी.जी. कॉलेज शिवपुरी में आयोजित व्याख्यान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व विधायक एवं जिलाध्यक्ष जसमंत जाटव ने कहा कि देवी अहिल्याबाई होलकर की धार्मिकता इतनी उदार थी कि धर्म और नीति के हर क्षेत्र में उन्होंने अपना नाम अजर-अमर कर दिया. कोई भी महिला सर्वगुण संपन्न कैसे हो सकती है, इतिहास, वर्तमान और भविष्य में केवल एक ही व्यक्ति में इतने गुणों का समावेश होना दुर्लभ होता है जितने सद् गुणों का समावेश अहिल्याबाई होलकर के जीवन में था.
व्याख्यान कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वागत भाषण महाविद्यालय की जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष अमित भार्गव ने दिया. उन्होंने देवी अहिल्याबाई होलकर की व्यक्तित्वगत विशेषता को रेखांकित करते हुए कहा कि प्राचीनता और आधुनिकता का अद्भुत समन्वय उनके व्यक्तित्व में देखने को मिलता है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रोफेसर दिग्विजय सिंह सिकरवार ने कहा कि 17 करोड़ का “खासगी खजाना” अर्थात राज्यकोष से अलग निजी फंड मातोश्री अहिल्याबाई होलकर के पास उस समय था. मातोश्री अहिल्याबाई होलकर ने मंदिरों के पुनर्निर्माण, तीर्थों के जीर्णोद्धार, पर्यावरण संरक्षण, जीव संरक्षण, पशु पक्षी अभ्यारण्य, मछली अभ्यारण्य जैसे सारे लोकहितकारी कार्य देश के भीतर अपने खासगी खजाने में से किए, अपने निजी फंड में से किए, राजकीय खजाने अर्थात राज्यकोष में से नहीं किए. इसलिए अक्सर जो कुतर्क रहता है कि उन्होंने इतना पैसा मंदिरों पर, तीर्थों पर खर्च कर दिया, इस फंड से यह हो सकता था, वह हो सकता था. लेकिन मातोश्री अहिल्याबाई होलकर ने मंदिरों, तीर्थों के पुनर्निर्माण और पशु-पक्षी अभ्यारण्य जैसे पवित्र कार्यों पर जो पैसा खर्च किया वो उनका निजी पैसा था, खासगी फंड से उन्होंने यह सब किया. देवी अहिल्याबाई होलकर का यह बहुत बड़ा योगदान धर्म क्षेत्र में, पर्यावरण के क्षेत्र में, सामाजिक क्षेत्र में हम देखते हैं। प्रोफेसर दिग्विजय सिंह सिकरवार ने कहा कि भीलों की प्लाटून अर्थात भील कॉर्प्स की स्थापना मातोश्री अहिल्याबाई होलकर ने मालवा राज्य में की थी. आगे चलकर अमझेरा नरेश राणा बख्तावर सिंह ने भी इस भील कॉर्प्स को अपने साथ रखा. ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ अमझेरा नरेश राणा बख्तावर सिंह के संघर्ष में इस भील कॉर्प्स ने ऐसा पराक्रम दिखाया था कि ब्रिटिश हुकूमत की फौज भाग खड़ी हुई थी और भागने के लिए उन्हें जमीन नहीं मिल रही थी. जनजातियों को संरक्षण कैसे दिया जाता है, जनजातियों की ताकत और सामर्थ्य का सकारात्मक उपयोग राजसत्ता के लिए कैसे किया जाता है, मातोश्री अहिल्याबाई होलकर के जीवन से जुड़ा यह वह दुर्लभ पहलू है सामान्यतः जिसकी चर्चा इतिहास में बहुत कम होती है.
कार्यक्रम को सामाजिक कार्यकर्ता गोपाल पाल ने भी संबोधित किया. व्याख्यान कार्यक्रम के दौरान पूर्व जनपद अध्यक्ष प्रमेंद्र सोनू बिरथरे, अशोक खंडेलवाल, सामाजिक कार्यकर्ता गोपाल पाल, जनभागीदारी समिति अध्यक्ष अमित भार्गव, प्राचार्य डॉ. पवन श्रीवास्तव मंचासीन थे. कार्यक्रम में महाविद्यालयीन विद्यार्थियों ने भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ के तत्वावधान में आयोजित भाषण प्रतियोगिता में देवी अहिल्याबाई होलकर के जीवनवृत्त और कृतित्व पर अपने विचार रखे. भाषण प्रतियोगिता में मुकुल पाण्डेय, एलएल.बी. तृतीय वर्ष ने प्रथम स्थान प्राप्त किया. रिंकी मौर्य एलएल.बी. द्वितीय वर्ष ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया. नंदिनी शर्मा ने भाषण प्रतियोगिता में तृतीय स्थान प्राप्त किया. भाषण प्रतियोगिता में समृद्धि गुप्ता, पलक शर्मा, हिमांशी, शंकर जाटव एवं रौनक शर्मा ने भी सहभागिता की. कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शन प्राचार्य डॉ. पवन श्रीवास्तव ने व्यक्त किया. कार्यक्रम के संचालन की कमान जन अभियान परिषद के ब्लॉक कॉर्डिनेटर शिशुपाल सिंह जादौन ने संभाली. व्याख्यान कार्यक्रम में प्रमुख रूप से प्रोफेसर महेंद्र कुमार, प्रो. राजीव दुबे, प्रो. जयप्रकाश श्रीवास्तव, प्रो. पुनीत कुमार, जनभागीदारी समिति सदस्य रेणु अग्रवाल, सच्चिदानंदगिरी गोस्वामी प्रमुख रूप से उपस्थित थे.

पीजी कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में मौजूद वक्तागण व उपस्थित विद्यार्थी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page