
खसरे में सुधार करने तय हुआ था 5 हजार में सौदा, भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा राजस्व महकमा
शिवपुरी। जिले की खनियाधाना तहसील अंतर्गत एक पटवारी को सोमवार की सुबह लोकायुक्त की टीम ने 3 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों दबोच लिया। शिवपुरी में यह पहली कार्रवाई नहीं है, बल्कि महीने में एक-दो रिश्वतखोर पकड़े जा रहे हैं, तथा जिले में राजस्व विभाग आकंठ भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है।
खनियाधाना के पटवारी मनोज निगम को आज सुबह ग्रामीण शिकायतकर्ता हनुमंत सिंह 3 हजार रुपए देने पहुंचा। जैसे ही पटवारी निगम ने रुपए हाथ में लिए, तभी आसपास छुपी लोकायुक्त की टीम वहां आ गई, और मनोज के दोनों हाथ पकड़ लिए। एकएक रिश्वत के नोटो सहित पकड़े जाने से पटवारी समझ गया, कि अपना गेम डाल दिया गया। पटवारी के हाथ धुलवाए तो पानी लाल हो गया। पटवारी ने हनुमंत सिंह की बुआ के खसरे में पिता का नाम संशोधित कराने के एवज में 5 हजार रुपए में सौदा तय किया था।
बताते हैं कि पटवारी ने मांग तो 10 हजार रुपए की करी थी, लेकिन सौदा 5 हजार में तय हो गया था। फरियादी हनुमंत सिंह की बुआ के पिता का नाम खसरे में मथरी की जगह मथुरा खसरे में लिखा दिया था, जिसे संशोधित कराने के एवज में पटवारी मनोज निगम ने रिश्वत मांगी थी।
राजस्व विभाग में खुला भ्रष्टाचार
शिवपुरी में लोकायुक्त की यह पहली कार्रवाई नहीं। है, बल्कि इससे पहले भी पटवारी सहित अन्य राजस्व अधिकारी और कर्मचारी रिश्वत लेते पकड़े जा चुके हैं। बावजूद इसके राजस्व विभाग में चल रहे खुले भ्रष्टाचार पर कोई अंकुश नहीं लग पा रहा। यह हालात तब हैं, जबकि राजस्व विभाग का अध्यक्ष और मुखिया कलेक्टर होते हैं।
लेनदेन करके रोके रहते हैं चालान
लोकायुक्त में दर्जनों मामले दर्ज होने के बाद भी उनके चालान पेश होने में देरी होने की वजह से रिश्वतखोर अधिकारी-कर्मचारी अभी भी कुर्सियों पर डटे रहकर अभी भी खुलेआम रिश्वत ले रहे हैं। चूंकि रिश्वतखोर अधिकारी-कर्मचारी बदस्तूर माल कमा रहे हैं, इसलिए वो समय-समय पर चालान रुकवाने के लिए लोकायुक्त को रिश्वत देते रहते हैं।जिसके चलते उनके मामले न्यायालय में पहुंच हो नहीं पाते।
