
न्याय केंद्र के माध्यम से पीड़ित और जरूरतमंद लोगों को सही विधिक परामर्श मिल सकेगा – कलेक्टर
अब अधिवक्ताओं की भूमिका सोशियो लीगल एक्टिविस्ट की, न्यायकेंद्र ईज ऑफ जस्टिस की दिशा में माइलस्टोन बनेगा –
शिवपुरी। संविधान के अमृत महोत्सव के गौरवशाली पड़ाव पर बाबा साहब अम्बेडकर की जयंती के अवसर पर अधिवक्ता परिषद शिवपुरी द्वारा “न्याय केंद्र” के स्थायी प्रकल्प का शुभारंभ विष्णु मंदिर स्थित सभाकक्ष में किया गया। समाज के जरूरतमंद लोगों तक निःशुल्क विधिक परामर्श और विधिक सेवाएं एक सातत्य के साथ प्रदान करने का काम यह न्याय केंद्र करेगा। न्याय केंद्र का शुभारंभ जिला कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी ने फीता काटकर किया।
इस अवसर पर आयोजित व्याख्यान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी ने कहा कि अधिवक्ता परिषद की न्याय केंद्र प्रारंभ करने की इस पहल से प्रशासन के समक्ष जनसुनवाई में आने वाले कई प्रकरणों जिनमें कोई न कोई विधिक पहलू अंतर्ग्रस्त रहता है, जिस वजह से कई बार हम पीड़ित व्यक्ति की उस समग्रता से मदद नहीं कर पाते हैं जो होना चाहिए, इस दृष्टि से न्याय-केंद्र के माध्यम से ऐसे पीड़ित और जरूरतमंद लोगों को सही विधिक परामर्श मिल सकेगा और प्रशासन को भी आपके इस न्यायकेंद्र के संचालन से एक वैकल्पिक व्यवस्था बनने से सहयोग मिलेगा। कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी ने कहा कि बाबा साहब अम्बेडकर जयंती के दिन से बेहतर दिन न्यायकेंद्र के शुभारंभ के लिए हो नहीं सकता था, इसलिए इस दिन के चयन पर प्रशंसा व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि बाबा साहब अम्बेडकर ने समाज के शोषित और वंचित वर्ग से आने के चलते जीवन में जो कुछ सहा और सबकुछ सहकर वे जिस तरह जीवन में आगे बढ़े और भारत के संविधान की संरचना का सौभाग्य, उसकी ड्राफ्टिंग कमेटी के चेयरमैन बनकर संविधान को पारित कराने का सौभाग्य उनके हिस्से आया, यह दिन वास्तव में समाज के जरूरतमंद लोगों तक न्याय की पहुंच सुनिश्चित कर अम्बेडकर जी को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करने का दिन है. इससे पूर्व अधिवक्ता परिषद के महामंत्री विवेक जैन ने अधिवक्ता परिषद के परिचय और न्यायकेंद्र की अवधारणा को सबके सामने रखा.
न्याय केंद्र के शुभारंभ के अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रोफेसर दिग्विजय सिंह सिकरवार ने कहा कि आज के इस दौर में अधिवक्ताओं के समाज और न्याय के बीच की कड़ी या सेतु होने के कारण उनकी भूमिका एक तरह से सोशल इंजीनियर या सोशियो लीगल एक्टिविस्ट की भूमिका हो गई है. एग्जीक्यूटिव के क्षेत्र में ईज ऑफ बिजनेस और ईज ऑफ लिविंग के जैसे प्रयत्न आजकल चल रहे हैं, उसी तरह ज्यूडिशियल सिस्टम में भी “ईज ऑफ जस्टिस” और “ईज ऑफ एक्सेस टू जस्टिस फॉर ऑल” की दिशा में रचनात्मक प्रयास करने की आवश्यकता है. अधिवक्ता परिषद शिवपुरी की न्याय केंद्र के स्थायी प्रकल्प के माध्यम से समाज के शोषित और वंचित तबके तक “ईज ऑफ जस्टिस” की यह पहल आने वाले समय में “एक्सेस टू जस्टिस फॉर ऑल” की दिशा में उपयोगी कदम सिद्ध होगी और एक माइलस्टोन बनेगी.
बाबा साहब अम्बेडकर के जीवन को रेखांकित करते हुए प्रोफेसर सिकरवार ने कहा कि भारत के मूलभूत राष्ट्रीय, सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन के साथ बाबा साहब अम्बेडकर का अटूट संबंध और गहरा जुड़ाव रहा है. बाबा साहब अम्बेडकर की पहली थीसिस एवं अंतिम पुस्तक “बुद्ध या कार्ल मार्क्स” का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि बाबा साहब अम्बेडकर ने मार्क्सवाद की वर्ग संघर्ष की अवधारणा को संविधान में कोई जगह नहीं दी, मार्क्सवाद को उन्होंने पूरी तरह से खारिज कर दिया. भारत की सनातन संस्कृति के स्वभाव के अनुरूप उन्होंने वर्ग समन्वय की अवधारणा को देश और समाज में स्थापित करने का काम किया.
कार्यक्रम के संचालन की कमान एडवोकेट जय गोयल ने संभाली. न्याय केंद्र के शुभारंभ कार्यक्रम में जिला न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय तिवारी, पूर्व अध्यक्ष शैलेन्द्र समाधिया, प्रोफेसर दिग्विजय सिंह सिकरवार, अधिवक्ता परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष एडवोकेट आशीष श्रीवास्तव, महामंत्री एडवोकेट विवेक जैन, प्रांत कार्यसमिति सदस्य अधिवक्ता परिषद एडवोकेट दीवान सिंह रावत, एडवोकेट जय गोयल, महेंद्र श्रीवास्तव, श्रेय शर्मा, दीपेश दुबे, अभय जैन, विमल वर्मा, हृदेश राठौर, अंकित अग्रवाल, प्रखर बंसल, अनुश्री चतुर्वेदी, मुस्कान रघुवंशी, आशुतोष कुशवाह, सुरेश नरवरिया, दीपम भार्गव, कांक्षी जैन, शिवाजी नरवरिया, पूर्वी श्रीवास्तव, आकाश प्रसाद, नमित बाथम, पीयूष गुप्ता, चंद्रशेखर भार्गव, ललित समाधिया, अमन शर्मा, संदीप शर्मा अधिवक्ता प्रमुख रूप से उपस्थित थे.
